रायगढ़

कांग्रेस पार्षद संजना आत्महत्या मामले में उठे सवाल
25-Apr-2022 4:29 PM
कांग्रेस पार्षद संजना आत्महत्या मामले में उठे सवाल

अमित पाण्डेय के भाई ने कहा- कहां है पोस्टमार्टम रिपोर्ट और किसने किया है मृतक को 1500 कॉल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 25 अप्रैल । 
कांग्रेस पार्षद संजना शर्मा के आत्महत्या मामले में रविवार को इसी मामले में जेल में निरुद्ध अमित पाण्डेय के भाई ने पुलिस की जांच पर कई सवाल खड़े किए। साथ ही यह भी कहा कि मृतक संजना शर्मा को न्याय मिलना चाहिए इसके लिए भी पुलिस जांच को गति दे। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक कारणों से इस प्रकरण की जांच की दिशा मोड़ दी गई है।  उन्होंने अपने भाई के मामले में निष्पक्ष जांच की भी मांग उठाई है।

31 मार्च को कांग्रेस पार्षद संजना शर्मा की मौत रायगढ़ के ही निजी अस्पताल में हो गई थी। बताया जाता है कि उन्होंने जहर का सेवन किया था। उनकी मृत्यु के 4 घंटे बाद पुलिस ने बताया कि मृतक के घर से एक आवेदन बरामद हुआ है, जिसमें यह लिखा था कि यदि संतापवश मैं कोई ऐसा कदम उठा लेती हूं, जिससे मेरी मृत्यु हो जाय तो उसका जिम्मेदार अमित पाण्डेय होगा। इस आवेदन पत्र के मिलने के बाद पुलिस ने अमित पाण्डेय को गिरफ्तार कर लिया था। तब से लेकर अब तक अमित पाण्डेय जेल में निरूद्ध है। इसी मामले में अब अमित पाण्डेय के भाई आलोक पाण्डेय का कहना है कि पुलिस इस मामले में सही जांच नहीं कर रही है।

 पाण्डेय द्वारा एक प्रेस कांफ्रेस कर सवाल उठाया गया कि पुलिस ने अब तक संजना शर्मा की सीडीआर और पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं कि है। आखिर इनमें ऐसा क्या है जिसे पुलिस छुपाना चाहती है। आलोक ने यह भी कहा कि उन्हें पता चला है कि मृतक के सीडीआर में किसी का 1500 से ज्यादा कॉल काउंट किया गया है। क्या उस व्यक्ति से पुलिस ने कोई पूछताछ की है ? इसके अलावा एक कांग्रेस नेता के भी 400 से ज्यादा कॉल की बात सामने आ रही है। ऐसे में पुलिस की जांच ही संदिग्ध लगती है। प्रतीत होता है कि नेताओं और रसूखदारों को बचाने के लिए पुलिस ने अमित पाण्डेय को बलि का बकरा बनाया है।

आलोक पाण्डेय ने यह भी कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी हो उसे सजा मिले। अमित पाण्डेय के बारे में कहा कि अमित पाण्डेय ने कुछ खबरें बनाई थी जो राजनीतिक थी, ऐसी खबर सभी अखबारों में छपी भी थी तो इसके लिए अमित कैसे जिम्मेदार हो गया। आलोक ने यह भी कहा कि क्या इसे सुसाइड नोट माना भी जा सकता है ? जिस आवेदन को एक महीना पहले लिखा गया हो क्या वह सुसाइड नोट है ?  

आलोक ने यह भी सवाल उठाया कि जब पुलिस रायगढ़ के पत्रकारों को यह सुसाइड नोट नहीं दिखा रही थी तो यह नोट सोशल मीडिया में वायरल होकर रायपुर के मीडिया तक कैसे पहुंच गया ? उन्होंने आशंका जाहिर की कि इस मामले में रसूखदार नेता और कथित ठेकेदार को बचाने पुलिस ने जानबूझकर इस लेटर को प्लांट किया है। उन्होंने कहा कि पुलिस को निष्पक्षतापूर्वक जांच करनी चाहिए नहीं तो जांच किसी भी स्वतंत्र जांच एजेंसी से करवाई जाय।
 

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