बेमेतरा

खाद के बाद अब बीज के दाम भी बढ़े, किसान चिंतित
04-May-2022 7:22 PM
खाद के बाद अब बीज के दाम भी बढ़े, किसान चिंतित

सुगंधित-पतला-मोटा धान, उड़द, सोयाबीन व रामतील के दाम में बढ़ोतरी 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 4 मई। 
खरीफ फसल सीजन आते ही खाद के बाद अब अनाज बीज के दाम भी बढ़ाए गए हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बीज निगम द्वारा जारी किए गए दर में सुगंधित धान, पतला धान, मोटा धान, उड़द, सोयाबीन व रामतील के दाम में बढ़ोतरी हुआ है। काश्तकारी जिला में बीच के दाम बढऩे से किसानों की खेती महंगी होगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य बीज निगम द्वारा प्रमाणित बीज का नया दर की सूची जारी किया गया है। जिसके अनुसार धान मोटा 2400 रुपए, पतला 2700, सुगंधित धान 3000, कोदो, कुटकी व रागी 4590 रुपए, अरहर 9250 रुपए, उड़द 9000 रुपए, मूंग 9500 रुपए, सोयाबीन 7250 रुपए, मूंगफली 8000 रुपए, तिल 12000 रुपए, रामतील 8550 रुपए, ढेंचा 6000 रुपए व सनई 8000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से इस बार किसानों को मिलेगा।

सभी दर प्रमाणित बीज के है। यदि किसान आधार बीज लेना चाहे तो 100 रुपए अधिक ब्यय देना होगा। बीज बेचने पर सहकारी समितियों को 4 फीसदी देने का प्रावधान किया गया है।
जिले के 2 लाख से अधिक परिवार करीब 2 लाख 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ में धान की खेती करते है। बीज की कीमतें बढ़ाने से किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। सोयाबीन की कीमत में सर्वाधिक 750 रुपए की वृद्धि की गई है। रामतील 300 रुपए व उड़द की कीमत में 350 रुपए बढ़ाई गई है। रागी बीज की कीमत में 5 फीसदी की कमी की गई है।

इनकी खेती करना और  महंगा हो जाएगा
रासायनिक उर्वरक के बाद अब बीज की कीमत बढ़ गई है। शासन ने धान के प्रमाणित बीजों की कीमत प्रति क्विंटल 200 रुपए तक बढ़ा दिया है। जिले में धान व अन्य फसलों की खेती होती अधिक होती हैं, जिनके बीज के दाम इस बार अधिक बढ़ा है। कम रकबा वाले फसलों की बीज के कीमत में कमी आई है।

इस बार अरहर की खेती सस्ती होगी 
अरहर की प्रमाणित बीज की कीमत में एकमुश्त 1150 रुपए प्रति क्विंटल की कमी की गई है। मूंगफली की कीमत 600 सौ रुपए घटी है। वही रागी की कीमत पूर्व सीजन में 8550 थी जो घटकर 4250 रुपए हो गया है यानी 4450 रुपए का राहत मिल रहा है। कोदो का दाम पूर्व की अपेक्षा इस बार 400 रुपए कम दर पर मिलेगा।

खाद-बीज के दामों में बढ़ोतरी को लेकर किसान संघ के अध्यक्ष रामसहाय वर्मा ने कहा कि मौसम , दाम, किल्लत व बाजार में मंदी का प्रभाव सबसे अधिक किसानों पर ही पड़ता है। जब खरीदने का समय आता है तो दाम बढ़ा दिया जाता है , ऐसा हमेशा से होते आ रहा है।
 

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