बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 30 नवंबर। कभी सफेद सोना यानी सोयाबीन की खेती के लिए राज्य में अलग पहचान रखने वाले बेमेतरा जिला अब सब्जी के साथ गुड़ की बड़ी मंडी बन गया है। यहां के किसान कोई दो दशक से गुड़ बना रहे है। दिवाली के बाद गुड़ बनाने का क्रम शुरू होता है, जो होली तक चलता है। यहां की गुड़ की शुद्धता का बखान यूपी से बनाने आने वाले एक्सपर्ट भी करते है।
जिले में गन्ना का कुल रकबा कृषि विभाग के रिकॉर्ड में 8750 एकड़ है। प्रति एकड़ किसान औसत उत्पादन 35 क्विंटल मानकर चलते है फिलहाल गुड़ अधिकतम 2900 रुपए क्विंटल में बिक रहा है। इससे यही अनुमान लगाया जा रहा है कि जिले में 80 करोड़ का कारोबार अकेले गुड़ बाजार से होगा।
नहीं बन सका ब्रांड
बेमेतरा जिले में गुड़ बनाने की कहानी किसानों के पेराई से शुरू हुई। राज्य गठन के बाद पहला शक्कर कारखाना कबीरधाम जिले में लगा। इसमें बेमेतरा जिले के चारों ब्लाक के किसान शेयर धारक हैं। सरकार की बात मानकर किसानों ने फसल परिवर्तन कर गन्ना लगाया, लेकिन गन्ना खरीदी में सिस्टम नाकाम रहा। किसान खेतों में गन्ना आग के हवाले किए, कुछ ने गुड़ बनाना शुरू किया तो सरकार ने रोक लगा दी।
किसान हाईकोर्ट गए तो गुड़ बनाने की आजादी मिली। इसके बाद खेतों में कोल्हू चलने लगे और गुड़ का बाजार बना यह जिला। हाफ नदी का तट गन्ने की खेती के लिए अब तक अनुकूल है। शुरुआत तो हरियाणा से आए किसानों ने किया पर आज स्थानीय किसान भरपूर गुड़ बना रहे हैं।
ग्राम जेवरा अंधियारखोर के किसान हरीराम साहू ने बताया कि वे दस साल से गुड़ बनाने का काम कर रहे है। पूरे राज्य में जहां धान का रकबा बढ़ रहा है। वहीं इनका गन्ना का रकबा बढ़ रहा है। 35 एकड़ में गन्ने की खेती करने वाले हरीराम साहू ने कहा कि राज्य सरकार ने वह सहयोग नहीं किया जो होना चाहिए। दो दशक के गुड़ को आजतक हम ब्रांड नहीं बना सके। जिले में गुड़ की सरकारी खरीदी होती तो कुछ तो किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलता, बिजली बिल, कटाई, पेराई, कीटनाशक, मजदूरी में बढ़ोतरी जिस गति से हुई गुड़ के भाव उस लिहाज से नहीं बढ़े। राज्य सरकार फसल परिवर्तन का नारा तो लगाती है पर अमल करने वालों को तवज्जो नही देती।
एक्सपर्ट तैयार नहीं कर सके
छत्तीसगढ़ में अकेले बेमेतरा जिले में कोई तीन लाख क्विंटल गुड़ किसान बनाते है। वर्ष 2002 से अब तक किसान गुड़ बनाने के संसाधन तो एकत्र कर लिए पर एक्सपर्ट तैयार नहीं कर सके। आज भी यूपी के एक्सपर्ट ही गुड़ बनाते है। गन्ना काटने व पेराई के लिए भी यूपी के लोग ही आते है। लगभग सभी कार्य ठेके पर होता है। इनके आने के लिए किसान अग्रिम भुगतान करते है, राज्य सरकार अब तक इसे कौशल उन्नयन नहीं मानी यह भी एक समस्या है।
हमारे यहां बेहतर गुणवत्ता
बागपत से गुड़ बनाने आए एक्पर्ट साहेब सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की गुड़ में जो शुद्धता है वह अन्य राज्यों में देखने को नही मिलता।