बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 5 दिसंबर। समाधान महाविद्यालय में डॉ.रणसिंह आर्य (पीएचडी, आई आई टी दिल्ली) जीवन विद्या प्रतिष्ठान, बिजनौर (उत्तरप्रदेश) के संस्थापक अपने संक्षिप्त प्रवास में समाधान महाविद्यालय बेमेतरा आये, जहाँ उनका एक दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक स्टॉफ के लिए रखा गया था।
जिसमें उन्होंने कहा कि स्वयं में तृप्ति का एहसास होना ही एक अच्छे शिक्षक की पहचान है, शिक्षक सबसे सम्मानीय पद है, शिक्षक के बाद वैद्य का स्थान है। वैद्य के बाद किसान का स्थान है जो परम्परा से मिला है उसे स्वीकार करें जो नहीं मिला है उसे प्राप्त करने का प्रयास करें। रोग, स्वस्थ सब कुदरत की व्यवस्था है। हम कैसे खुश रहे हमारा दायित्व है, दूसरों की कमियों को न देखकर पूरक बनें। लेने में ध्यान न देकर देने में ध्यान दें। कमी देखने के बजाय उसके सकारात्मक चीजों को देखें। समूचे देश में 300 धर्म और 3000 विचारधाराएँ हैं जिसमें विभिन्नताएँ हैं। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के डायरेक्टर अविनाश तिवारी धन्यवाद ज्ञापन करते हुए महाविद्यालय के वर्तमान स्थितियों एवं कार्यक्रम से अवगत कराते हुए महाविद्यालय को 750 करोड़ मानव जाति के लिए उपयोगी बताया।
कार्यक्रम में महाविद्यालय समिति के अध्यक्ष डॉ.अलका तिवारी, डॉयरेक्टर डॉ.अवधेश पटेल, प्राचार्य डॉ. पन्नालाल यादव, प्रशासनिक अधिकारी उमेश सिंह राजपूत, स्वीटी मलिक, सहा. प्राध्यापक डॉ.जीडी मानिकपुरी, लक्ष्मीनारायण साहू, निधि तिवारी, रूपेन्द्र डहरिया, आशा झा, प्रज्ञा पटेल, प्रीति शर्मा, गणेश्वर साहू, संगीता अग्रवाल, पूजा सिन्हा, राजेश यादव, राजेश गजपाल, होरीलाल देवांगन सहित अन्य प्राध्यापकगण उपस्थित रहे।