गरियाबंद
![स्थानांतरित भूमि से कब्जा हटाने पहुंचे प्रशासन का अमला, भारी विरोध स्थानांतरित भूमि से कब्जा हटाने पहुंचे प्रशासन का अमला, भारी विरोध](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1672050431147.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 26 दिसंबर। रविवार को राजिम-चौबेबांधा रोड पर नवीन मेला ग्राउंड में शाम 4 स्थानांतरित भूमि से कब्जा हटाने के लिए पहुंचे तहसील आमला एवं पुलिस को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा।
नदी के किनारे नवीन मेला ग्राउंड पर बल्ला, सत्तू, सनत, जग्गा, मनबोध, खोमेन्द आदि 5-6 परिवार बाड़ी लगाकर जीवन यापन कर रहे हैं। बाडी में सेमी की फसल लगी हुई है। इन्हें तोडक़र बेच रहे हैं। इनसे जो इनकम हो रही है उससे परिवार का खर्चा चल रहा है। परंतु रविवार को जैसे ही बुलडोजर इनके बाड़ी पर चला और सर्वप्रथम घेरा को तोड़ा। इन्हें तोड़ते तोड़ते कई बार बाड़ी वाले को चोट लगते लगते बची।
विरोध कर रही 50 वर्षीय सीता सोनकर कांटातार में फंसकर कर इस तरह गिरी कि वह उठ नहीं पाई तब पुलिस की टीम उन्हें जाकर उठाया। ज्यादा चोट नहीं आई वरना कोई भी बड़ी अप्रिय घटना घट सकती थी। विरोध का यहां कई उदाहरण देखने को मिला, जमीन वाले विरोध करते रहे और बाकी लोग दृश्य को देख रहे थे।
राजिम तहसीलदार बार-बार भूमि खाली कराने के लिए जेसीबी वाले पर दबाव बना रहे थे और इधर बाड़ी वाले विरोध कर रहे थे। बताया कि जमीन के बदले हमें जमीन हालांकि दिया है लेकिन वह जितनी मात्रा में बाड़ी लगा रहे हैं उससे कम जमीन हम को मिला हुआ है। वहां न ही पानी की सुविधा है और न ही अन्य कोई सुविधाएं हैं जिसके कारण खेती करना मुश्किल है। इस जगह को छोडक़र यदि हम वहां जाते हैं तो लाखों रुपया बाड़ी के योग्य बनाने में ही लगेगा। पानी बोर सुविधा में ही कई रुपया खर्च हो जाता है यह राशि कहां से आएगी। इन किसानों के सामने बहुत बड़ी चिंता है इसलिए यह किसान पूरे परिवार के साथ आकर भूमि खाली करवा रहे हैं, उनका विरोध कर रहे थे।
तहसील आमला के यह कृत्य से परेशान किसान कह रहे थे कि अभी हम लोग बाड़ी लगाए हैं इन्हें खाने दीजिए उसके बाद हम खुद स्वत: खाली कर देंगे। लेकिन प्रकाशन मानने को तैयार नहीं और खाली कराने पर अड़े रहे। स्थानीय प्रशासन का स्पष्ट रूप से कहना था कि 3 साल पहले ही इनको जमीन के बदले जमीन दे दी गई है। खाली कराने के लिए नोटिस भी दिया गया है, उसके बाद भी खाली नहीं कर रहे हैं।
इधर विरोध करने वाले किसानों का यह भी कहना था कि रविवार छुट्टी के दिन प्रशासन हम लोगों को परेशान कर रही है।