रायपुर
यूजीसी ने किया एक्ट में संशोधन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 दिसंबर। नवंबर में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा पीएचडी के नियमों में संशोधन करने के बाद अब अन्य विश्वविद्यालयों ने भी इसे लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में फरवरी में होने वाली प्रवेश परीक्षा से पहले लागू करने का फैसला किया है, इसके तहत अब 62 वर्ष आयु तक वाले प्राध्यापक पीएचडी गाइड बनेंगे और नए शोधार्थियों को पीएचडी करवाने में मार्गदर्शन देंगे। बीते 15 साल में तीसरी बार गाइड को लेकर नियमों में संशोधन हुआ है।
दरअसल,आमतौर पर शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने की आयु 65 वर्ष निर्धारित है। ऐसे में कई शिक्षक 65 वर्ष होने तक पीएचडी सीट पर शोधार्थियों को रिसर्च करवाते रहते हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि वे 65 में रिटायर हो जाते है और शोधार्थियों की पीएचडी अधूरी रह जाती है, उसे पूरी करने के लिए उन्हें फिर नए गाइड को ढूंढना पड़ता है। इसके कारण पीएचडी करने की अवधि बढ़ जाती है, ऐसे में पीएचडी लंबी ना चले और समय पर पूरी हो, यूजीसी ने गाइड की आयु निर्धारित कर दी है।
ये रहेंगे नियम शर्ते
यूजीसी के नियमों के मुताबिक, अब 62 वर्ष आयु तक वाले प्राध्यापक को ही पीएचडी गाइड बनाया जाएगा,इसके तहत 62 से 65 वर्ष के बीच आयु वाले गाइड ही अपने अधीन आने वाले शोधार्थियों को पीएचडी पूरी करवाएंगे। इसके लिए कुछ नियम और शर्ते भी तय किए गए, जिसके तहत 62 वर्ष आयु होने से गाइड को 3 वर्षों में पीएचडी पूरी करवानी होगी। ऐसे टीचर जिनकी सेवानिवृत्त उम्र सीमा 3 साल से कम बची है अब उन्हें अपने निरीक्षण में नए शोधार्थियों को लेने की अनुमति नहीं होगी लेकिन पहले से रजिस्टर्ड शोधार्थी का मार्गदर्शन जारी रहेगा। इसमे सबसे अहम ये है कि इस पूरी अवधि के दौरान या खाली सीट होने के बावूजद गाइड को कोई नया शोधार्थी नहीं मिलेगा।
हाल ही में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की ओर से पीएचडी कोर्स को लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई , जिसके अनुसार क्क॥ष्ठ डिग्री कोर्स की अवधि कम से कम तीन साल और कैंडिडेट को एडमिशन की तिथि से अधिकतम 6 साल का समय दिया जाएगा। नए नियमों में स्टूडेंट्स कम उम्र में पीएचडी कोर्सेज में प्रवेश ले सकेंगे। महिला और दिव्यांग कैंडिडेट को 2 साल की छूट दी जाएगी। वही किसी संस्थान में सेवारत कर्मचारी या टीचर पार्टटाइम पीएचडी कर सकेंगे।
इधर रविवि में: रविशंकर विश्वविद्यालय में यूजीसी का यह नियम लागू है, लेकिन कुछ अलग अंदाज में वह भी मौखिक आदेश पर एकेडमिक विभाग के श्री डहरवाल ने बताया कि प्रोफेसरों को कहा गया है कि 62 वर्ष के बाद पीएचडी शोधार्थियों के गाईड न बनें। फिर बाद में यह तय किया गया कि गाईड बनने पर 65 वर्ष होने से पहले आरडीसी जारी कर दें। नया रेगुलेशन लागू नहीं किया गया।