धमतरी

फाइलेरिया रोग- जिले के 40 गांवों में सर्वे के बाद 7 बच्चे मिले पॉजीटिव
07-Jan-2023 3:55 PM
फाइलेरिया रोग- जिले के 40 गांवों में सर्वे के बाद 7 बच्चे मिले पॉजीटिव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 7 जनवरी।
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए केन्द्र जिले में ट्रांसमिशन एसेसमेंट सर्वे फेस-2 का काम पूरा हुआ। इसके जरिए 40 गांवों का सर्वे किया गया, जिसमें 7 बच्चे पॉजिटिव मिले। उनका उपचार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि धमतरी जिले में समय-समय पर फाइलेरिया बचाव के लिए जांच अभियान चलाया जाता है।

जिला में भी केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश पर 556 लोगों का टेस्ट का लक्ष्य दिया गया था। केन्द्र सरकार द्वारा किए गए 20 गांव की सूची में 1150 बच्चों का टेस्ट किया गया। लक्ष्य से कम होने के बाद पुन: 20 गांव दिया गया। इसके तहत कुल 1456 लोगों का टेस्ट हुआ, जिसमें से 7 बच्चे पॉजिटिव पाए गए। इनमें से नगरी ब्लाक से एक, मगरलोड से तीन और कुरूद ब्लाक से तीन मरीज मिले। पॉजिटिव बच्चों को 12 दिन की दवाई दी गई है। वीबीडी कंसलटेंट सुष्मिता पटनायक ने बताया कि सर्वे में 6 से 7 वर्ष के बच्चों में इंफेक्शन रेंट देखने के लिए यह टेस्ट कराया था। सर्वे का पहला फेस खत्म होने के बाद यह ट्रांसमिशन एसेसमेंट सर्वे का दूसरा चरण था।

हाथी पांव के 109, हाइड्रोसील फाइलेरिया के 34 मरीज
वीबीडी कंसलटेंट सष्मिता पटनायक ने बताया कि सर्वे में 6 से 7 साल के बच्चों में इंफेक्शन रेंट देखने यह सर्वे हुआ। पहला फेस खत्म होने के बाद ट्रांसमिशन एसेसमेंट सर्वे का दूसरा चरण था, जिसमें 7 बच्चे पॉजिटिव मिले। बच्चों को 12 दिन की दवा दी गई, जिसे खाने के बाद संक्रमण खत्म हो जाएगा। जिले में अभी हाथी पांव के 109 मरीज और हाइड्रोसील फाइलेरिया वाले 34 हैं। नगर निगम धमतरी के विंध्यवासिनी वार्ड, जालमपुर और दानीटोला वार्ड में ज्यादातर मरीज पाए जाते हैं।

क्या है फाइलेरिया रोग
इस बीमारी को हाथी पांव के नाम से भी जानते हैं। फाइलेरिया बीमार संक्रमित क्युलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है। संक्रमण आम तौर से बचपन में होता है, लेकिन इस बीमारी के लक्षण 7 से 8 साल के बाद ही दिखाई देते हैं। इसमें पैर, हाथ, शरीर के अन्य अंगों में सूजन, दर्द, लालपन एवं बुखार आता है।

ऐसे करें बचाव
- फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें।
- पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिडक़ाव करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर रहें।
- सोते समय हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगाएं।
- हाथ या पैर में कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो उसे साफ रखें। साबुन से धोएं। फिर पानी सुखाकर दवा लगाएं।
 

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