महासमुन्द
महासमुंद, 13 जनवरी। पूर्व माध्यमिक शाला खरोरा में विवेकानंद जयंती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के आसंदी से सरपंच सुनीता देवदत्त चन्द्राकर ने कहा कि रामकृष्ण मिशन के माध्यम से विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों को दुनिया भर के लोगों के बीच पहुंचाने में अहम योगदान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था के प्रधान पाठक उमेश भारती गोस्वामी ने कहा कि स्वामीजी मैकाले द्वारा थोपी गई शिक्षा पद्धति के घोर विरोधी थे। वे कहा करते थे जिस शिक्षा से हम अपना जीवन-निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों का सामंजस्य कर सकें, वहीं वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है। शिक्षा ही व्यक्तित्व और चरित्र का निर्माण करती है। संस्था के वरिष्ठ शिक्षक डोमार राम साहू ने कहा कि स्वामी जी ने विदेशी धरती पर देशी संस्कृति का परचम फहराया। अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में विवेकानंद ने कहा था कि ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूं जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत दोनों की ही शिक्षा दी हैं। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते वरन समस्त धर्मों को सच्चा मान कर स्वीकार करते हैं।