बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 15 जनवरी। नाम सुनीता (28) हाल ही में घर में पति से झगड़ा हुआ। नौबात मारपीट तक पहुंच गई। अपना घर बचाने के लिए सुनीता ने पुलिस में जाने से पहले ‘सखी’ का दरवाजा खटखटाया। पीडि़त को सहारा देने सखी ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। कई बार काउंसलिंग कर दोनों पक्षों के बीच समझौता कराया। एक साल तक उनके रिश्ते का फॉलोअप भी लिया। आज सुनीता अपने घर परिवार में संतुष्ट हैं। इस तरह के 1489 प्रकरण अब तक बेमेतरा के सखी वन स्टॉप सेंटर में अब तक सुलझ चुके हैं। अब तक 637 पीडि़त महिलाओं को आपातकालीन सहारा केन्द्र भेजा गया है। कुल मिलाकर पीडि़त, महिलाओं के लिए सखी सहारा बनकर बन रही है। इससे महिलाओं का हौसला बढ़ा है। उन्हें कानून से पहले काउंसलिंग की समझ मिली है।
केंद्र सरकार की योजना
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिलाओं को एकीकृत रूप से सहायता देने के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर की स्थापना देशभर में की गई है। यहां एक ही छत के नीचे सभी वर्ग की महिलाओं 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाएं भी सम्मिलित है, को सलाह, सहायता, मार्गदर्शन एवं संरक्षण मिल रहा है। सखी वन स्टाप सेंटर बेमेतरा में 11 कार्यकर्ताओं का सेटअप हैं, जिसमें सभी महिलाएं नियुक्त रहती हैं।
पीडि़ता के ससुराल तक गई टीम
अब तक 30 प्रकरणों में सखी की टीम ने पुलिस की मदद से पीडि़ता के घर जाकर मामले का निपटारा तक कराया है। जिन पीडि़त महिलाओं के ससुराल वाले घरेलू हिंसा के चलते महिला से बच्चा छीनकर अपने पास रख लेते हैं। उनके ससुराल जाकर बच्चे को उन्हें वापस दिलाया गया। 9 प्रकरण में पीडि़त महिलाओं बालिकाओं को विधिक सेवा प्राधिकरण से क्षतिपूर्ति राशि दिलाई गई। 118 प्रकरण में दहेज वापसी कराया गया। 48 प्रकरण में महिलाओं को रेस्क्यू कर उसके ससुराल वालों को समझाइश दी गई।
इनका हुआ निराकरण
सखी वन स्टाप सेंटर में घरेलू हिंसा, लैंगिक हिंसा, बलात्कार, टोनही के नाम पर प्रताडि़त, भू्रण हत्या, सती प्रथा, बाल विवाह, दहेज प्रताडऩा, संपत्ति विवाद, व्यक्तिगत वाद-विवाद, धोखाधडी छेड़छाड़, मानसिक रोगी, नशे की हालात, प्रेम-प्रसंग, स्वास्थ्य समस्या, भटकती अवस्था, मानसिक प्रताडऩा, भरण पोषण, आपातकालीन आश्रय आदि किसी भी हिंसा का सभी वर्ग की महिलाओं को सलाह, सहायता, मार्गदर्शन एवं संरक्षण दिया जाता है। जिले में 52 महिलाओं का घरेलू हिंसा डीआईआर प्रस्तुत किया गया है।