गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 17 अक्टूबर। धर्म नगरी राजिम में पारंपरिक दशहरा उत्सव का आयोजन विगत कई वर्षों से किया रहा है। यहां दशहरा उत्सव में रावण का दहन नहीं होता। भगवान श्री राजीव लोचन की डोला निकालकर राम रूप में दशहरा मैदान में जाकर वर्षों से निर्मित रावण की मूर्ति का वध किया जाता है। यही परंपरा यहां की खास बनी हुई है।
राजिम क्षेत्र अंतर्गत सिर्फ एक ही स्थान पर रावण का दहन किया जाता है और इस परंपरा को यहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा रहे हैं यहां वर्षों से दशहरा उत्सव का आयोजन श्री राजीव लोचन ट्रस्ट कमेटी के द्वारा किया जाता है। राजीव लोचन ट्रस्ट कमेटी के सरवराकार राजू ठाकुर ने बताया कि धर्मनगरी में कहीं पर भी रावण का पुतला दहन नहीं होता बल्कि यहां परंपरा अनुसार भगवान श्री राजीव लोचन जी का डोला सज धज कर मंदिर दक्षिण दिशा में स्थित लंका दशहरा मैदान में जाते हैं और वहां अंगद रावण संवाद के पश्चात भगवान भगवान श्री राजिम लोचन जी राजा रामचंद्र जी के स्वरूप में डोला में सवार होकर विशाल काय रावण के मूर्ति के समक्ष पहुंचते हैं और उनके प्रतिनिधि स्वरूप श्री राजीव लोचन टेस्ट कमेटी के सर्वराकार भगवान के प्रतिनिधि बनकर प्रतीकात्मक रूप से तीर मार कर वध करते हैं।
दशहरा उत्सव की तैयारी को लेकर सोमवार को दशहरा मैदान में आवश्यक बैठक रखी गई। जिसमें श्री राजीवलोचन मंदिर के मैनेजर पुरुषोत्तम मिश्रा, सर्वराकार राजू ठाकुर, पुजारी समिति के प्रमुख शिव कुमार सिंह ठाकुर, राजेंद्र सिंह ठाकुर एवं दशहरा उत्सव समिति के प्रमुख सदस्य पूर्व जनपद अध्यक्ष राघोबा महाडिक, जिला भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष जितेंद्र राजू सोनकर, साहू समाज राजिम भक्तिन माता समिति के अध्यक्ष लाला साहू, बेरोजगार संघ के अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा, सोसायटी अध्यक्ष विकास तिवारी, सुनील देवांगन, घनश्याम साहू, फागु राम निषाद, नंदन पटेल उपस्थित थे। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया दशहरा उत्सव मैदान की साफ सफाई दर्शकों के लिए बैठने की व्यवस्था पेयजल एवं विशेष लाइट एंड साउंड की व्यवस्था की जाएगी एवं भव्य आतिशबाजी भी किया जाएगा।