गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 18 अक्टूबर। नगर के वर्णी भवन में दिगंबर जैन समाज के द्वारा बहुत ही रोचक ज्ञानवर्धक उपयोगी कार्यक्रम कैरियर काउंसलिंग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रायपुर से पहुंची टिन्नी जैन ने सभी वर्गों के लिए जीवन के हर पल हर क्षण काम में आने वाले टिप्स बताएं। बताया कि हमें कैसे रहना, कैसे बोलना, किस प्रकार कैरियर बनाना, एक-एक चीज की व्याख्या इतने सरल तरीके से समझाया कि प्रत्येक उपस्थित सदस्यों के मन में बातें बैठ गई।
उन्होंने बताया कि बच्चों को मोबाइल से कैसे दूर रखें और कितना चलाने दे। हमें बच्चों में यह देखना चाहिए कि उनकी रुचि किस ओर है उसे प्रोत्साहित कर उसे क्षेत्र में आगे बढऩे हेतु प्रेरित करना चाहिए। बच्चों का विकास उन्हीं के रुचि अनुसार करें, तो बहुत ही जल्दी आगे बढने में सहायक रहेगा। सास और बहू में किस प्रकार संवाद होना चाहिए। आपस में दोनों को कैसे रहना चाहिए और घर का वातावरण कैसे खुशहाल रखना चाहिए जो आज की वर्तमान में बहुत ही आवश्यक है।
उन्होंने बताया यदि घर का वातावरण में खुशी रहेगी तो व्यक्ति तीन गुना तेजी से विकास करता है, व्यापारी है तो मन से व्यापार करेगा, नौकरी पैसा वाला है तो अपने काम में पूरी तरह समय देखकर तनाव रहित होकर काम करेगा तो उसकी तरक्की निश्चित ही होगी। इसी प्रकार उन्होंने घर में पति-पत्नी सास बहू छोटे-बड़े में संबंध आपसी तालमेल का बहुत अच्छे से उदाहरण पूर्वक समझाया।
धर्म के बारे में उन्होंने बताया कि धर्म को कैसे मनाना बच्चों में धर्म के प्रति मंदिर के प्रति कैसे रूचि बढ़ाना चाहिए धर्म को मन से मानने हेतु प्रेरित करना चाहिए धर्म की को थोपना नहीं चाहिए। बचपन से ही धर्म का ज्ञान देते रहने से बड़े होने पर भी उनके मन में अपने धर्म के प्रति रुझान बना रहेगा। बच्चों में धर्म के प्रति अलख जगाने के लिए उन्होंने बच्चों की पाठशाला चलाने हेतु प्रेरित किया।
इस दौरान डॉ.राजेंद्र गदिया, पंडित ऋषभ शास्त्री, अनीता जैन, नंदिता जैन आदि ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए अपने विचार रखें। समाज के अध्यक्ष किशोर सिंघई ने आभार प्रदर्शन कर आने वाले समय में बच्चों के लिये विशेष काउंसलिंग हेतु समय की मांग की। इस अवसर पर रमेश पहाडिय़ा, किशोर सिंघाई, सूरित जैन, मनोज जैन, अखिलेश जैन, सनत चौधरी, पंडित ऋषभ शास्त्री, डॉ.राजेंद्र गदिया आदि ने टिन्नी का सम्मान कर अभिनंदन पत्र भेंट किया। अंत में रिखब चंद्र बोथरा द्वारा उपयोगी ग्रंथ हम क्या खाएं कब खाएं सभी को भेंट किया गया।