कवर्धा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बोड़ला,19 दिसंबर। बाबा गुरु घासीदास की जयंती पर ग्राम मुडिय़ापारा में सतनामी समाज द्वारा गुरु पर्व समारोह धूमधाम के साथ मनाई गई। गुरु गद्दी व जैतखम्ब की पूजा-अर्चना के पश्चात पंथी नृत्य सहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन ग्राम मुडिय़ापारा में किया गया, जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोगों ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।
गुरु घासीदास जयंती के कार्यक्रम में मुख्य रूप से ग्राम के प्रमुख जिनमें त्रिलोकी लहरें राधे कोसले शोभा बंजारे शंकर लहरे जनपद सदस्य शत्रुघ्न डिंडोरे महेश डिंडोरे धनुष राम भास्कर बहोरिक रात्रे सहित गांव के बच्चे- बुजुर्ग महिला शामिल हुए। ग्रामवासियों के द्वारा सबसे पहले गुरु गद्दी व जैतखाम की पूजा-अर्चना कर गांव की समृद्धि व खुशहाली की कामना की गई।
कार्यक्रम के विषय में और अधिक जानकारी देते हुए त्रिलोकी लहरे एवं शोभा बंजारे राधे कोसले ने बताया कि 18 दिसंबर 1756 को गुरु घासीदास जी का जन्म ऐसे समय में हुआ, जब समाज में उच्च नीच छुआ छूत झूठ और कपट का बोलबाला था उनका जन्म स्थान छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गिरोद नामक ग्राम में बताया जाता है पिता महंगू दास तथा माता अमरावती के घर जन्मे गुरु घासीदास ने सामाजिक समाज को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी ।उनके सत्य के प्रति अटूट आस्था रही है। इसी कारण उन्हें बचपन में कई चमत्कार दिखाएं जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा घासीदास ने जहां समाज में एकता बढ़ाने का कार्य किया वहीं भाईचारे और समरसता का संदेश भी दिया।
उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की बल्कि समाज में नई जागृति पैदा करने का श्रेय भी उन्हें जाता है, अपनी तपस्या से ज्ञान प्राप्त कर करने और शक्ति का उपयोग कर उन्होंने मानवता की सेवा के लिए कार्य किया उनके इस व्यवहार और प्रभाव के चलते लाखों लोग उनके अनुयाई बन गए और इस तरह छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथ की स्थापना हुई। समाज के लोगों को उनके द्वारा दिया गया प्रेम मानवता का संदेश और उनकी शिक्षा आज भी प्रासंगिक है। उनके भक्त मानते हैं कि गुरु घासीदास द्वारा बताया गया रास्ता अपना कर ही अपने जीवन तथा परिवार की उन्नति हो सकती है।
गुरु घासीदास जी के मुख्य रचनाओं में सात वचन सतनाम पंथ के शब्द सिद्धांत के रूप में प्रतिष्ठित हैं, इसलिए सतनाम पंथ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को माना जाता है सभी क्षेत्रवासियों को बाबा गुरु घासीदास की जयंती के अवसर पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी गई। इस अवसर पर गांव के सभी बुजुर्ग, बच्चे महिलाएं एवं युवा कार्यक्रम में उपस्थित रहे।