बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 15 मार्च। जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूली बच्चों की चिरायु योजना के तहत स्वास्थ्य जांच के दौरान सबसे अधिक त्वचा सें संबंधित रोग के लक्षण नजर आए हैं। त्वचा के आलावा बच्चों में दांत, कान व आंख से संबंधित बीमारियों के लक्षण पाए गए हैं। लक्षण मिलने के बाद बच्चों का उपचार किया जा रहा है।
जानकारी हो कि राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के तहत सरकारी स्कूल एवं आंगनबाड़ी में पढऩे वाले बच्चों का नियमित कार्यक्रम तैयार कर चिरायु योजना के माध्यम से जांच के बाद उपचार किया जाना है। जिले के 1304 सरकारी स्कूल में से 1282 स्कूलों में चिरायु टीम पहुंची है। 1282 स्कूलों के 130516 बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गई। इसके साथ ही जिले के 1097 आंगनबाड़ी केन्द्रों के 80616 बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गई। जिले के 31628 बच्चों में स्वास्थ्य संबधी समस्याएं पाई गई हैं। 31628 बच्चों में से 26641 बच्चों का उपचार हुआ है। 4988 बच्चों को रेफर कर उपचार कराया गया है, जहां पर 4327 बच्चे स्वस्थ हो चुके हैं। बताना होगा कि योजना के तहत आगंनबाड़ी व स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को मुफ्त उपचार की सुविधा सरकारी तौर पर प्रदान की जाती है। चार वर्ग में बीमारियों को बांटा गया है।
योजना के तहत बच्चों में पाए जाने वाले लक्षण के आधार पर अलग-अलग वर्ग में विभाजित किया गया है। वर्ग ए में न्यूरल ट्यूब में होंठ व तालू की विकृति, पैर की विकृति, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बाधिरता, हदय रोग, रेटिना संबंधी रोग, वर्ग बी में घेंघा रोग, थायराइड, त्वचा रोग, कान का संक्रमण, श्वसन संबधी रोग, दांत, मिर्गी, दृष्टिदोष, सुनने और मांसपेशियों में परेशानी शामिल है। सी वर्ग में खून की कमी, विटामिन ए की कमी, विटामिन डी की कमी, कुपोषण, डी वर्ग में शारीरिक अक्षमता, जन्म से शारीरिक व मानसिक वृद्धि शामिल हैं।
ध्यान देने, संज्ञा जानने, सीखने में परेशानी है
192 बच्चों को स्कूलों में अन्य रोगो के साथ पढ़ाई के दौरान ध्यान देने, संज्ञा को जानने-समझने, व्यवहारिक परेशानिया, सीखने में कमजोर होने की भी जांच की गई। जिले में 4 बच्चों में संज्ञात्मक देरी, 5 बच्चे ध्यान संबंधी विकार, 8 बच्चे में डाउन सिंड्रोम, 136 बच्चो में अन्य विकार और 30 बच्चों में वाणी विकार होना पाया गया।
जन्मजात हृदय रोग के 42 बच्चों में 22 का उपचार
बेमेतरा, साजा, बेरला व नवगाढ़ ब्लॉक में विभागीय जांच के दौरान जिले में 42 बच्चों में जन्मजात हृदय रोग होना पाया गया, जिसमें से 22 बच्चों का उपचार हो चुका है। 13 बच्चों में जन्म से सुनने की क्षमता का न होना, 8 बच्चों को मिर्गी, 4 बच्चों को थायराइड व 1 बच्चे में टीबी रोग होना पाया गया है।
जिले में सबसे अधिक त्वचा रोग, कान व आंख के रोगी
जिले में एक सत्र के दौरान की गई जांच के दौरान बच्चों में पाए गए रोगों के लक्षण में सबसे अधिक त्वचारोग की शिकायत 1355, आंख संबंधि रोग 739, दंत रोग 713, कर्ण रोग से 448 बच्चे पीडि़त थे। कुपोषण वर्ग में जिले में 149 अतिकुपोषित, 119 खून की कमी, 744 बच्चों में ए की कमी, 113 बच्चों में सिकल सेल, 85 बालिकाओं में अनियमित अवधि होना पाया गया।
निजी स्कूल के बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ
चिरायु योजना के तहत जिले में 9 टीम का गठन किया गया है। प्रत्येक टीम में दो डॉक्टर हैं, जिनके द्वारा सरकारी स्कूल एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में जाकर जांच व उपचार किया जा रहा है। योजना का लाभ जिले के निजी स्कूल के स्टूडेंट्स को नहीं मिल पा रहा है। चूंकि ग्रामीण क्षेत्र में अनेक ऐसे पालक भी हैं, जो छोटे-छोटे निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हैं पर उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जानकार किरण वर्मा मानते हैं कि इस योजना का लाभ जिस तरह से सरकारी स्कूल के बच्चों को मिल रहा है, उसी तरह से निजी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को भी दिए जाने की जरूरत है।
मोबाइल के कारण भी आ रहे हैं विकार
कंसल्टेंट डॉ. योगेश दुबे ने बताया कि मोबाइल के कारण भी बच्चों को नेत्र व कान के रोगों की समस्या हो रही है। बच्चों में मोबाइल से सुनने व देखने की क्षमता प्रभावित हो रही है, जिसे देखते हुए पालकों को भी इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है।
प्रदेश के बाहर भी उपचार कराया गया
डीपीएम लता बंजारे ने बताया कि चिरायु योजना के तहत जिले में 9 टीम का गठन किया गया है। टीम द्वारा स्कूल व आंगनबाड़ी केन्द्रों में पहुंचकर जांच व उपचार किया जा रहा है। कुछ बच्चों को प्रदेश के बाहर भेजकर भी उपचार कराया गया है।