मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

महामारी से बचने और सुख-शांति के लिए दुल्हन की तरह सजाकर मुर्गी की विदाई
18-Mar-2024 4:42 PM
महामारी से बचने और सुख-शांति के लिए दुल्हन की तरह सजाकर मुर्गी की विदाई

होली से पहले की यह परम्परा बरसों से निभा रहे आदिवासी समाज 

रंजीत सिंह

मनेन्द्रगढ़, 18 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। एससीबी जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्र जनकपुर में बैगा समाज के द्वारा अनोखा रिवाज देखा गया, जहां मुर्गी का बिंदी, चूड़ी व माला से श्रृंगार कर उसे गांव में घर-घर दाना चुगने के लिए ले जाया गया। बताया जाता है कि महामारी से बचने एवं क्षेत्र में सुख-शांति के लिए आदिवासी समाज के द्वारा होली से पहले यह परम्परा वर्षों से निभाई जा रही है।

जिले का विकासखंड भरतपुर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं। यहां समय-समय पर कई अनोखे रिवाज देखने-सुनने को मिलते रहते हैं। होली के त्यौहार से पहले गांव में मुर्गी का श्रृंगार कर उसकी विदाई का कार्यक्रम लोगों में आकर्षण का केंद्र रहा। 

बैगा समाज के कुछ लोगों द्वारा मुर्गी को पहले साजो-श्रृंगार कर दुल्हन की तरह सजाया गया, फिर मंत्रोच्चारण कर मांदर की धुन पर उसे गांव में घर-घर और हर चौक-चौराहे पर ले जाकर दाना चुगवाया गया। इस दौरान ग्रामीणों के द्वारा बैगा पंडा को कुछ दान भी दिया गया। 

रस्मो-रिवाज की आखरी कड़ी में दुल्हन की तरह सजाई गई मुर्गी को नदी के दूसरे पार ले जाकर यह कहते हुए छोड़ दिया गया कि अब उसे विदा कर दिया गया है। 
मुर्गी की विदाई का यह कार्यक्रम विकासखंड भरतपुर के लगभग सभी ग्राम पंचायतों भगवानपुर, घघरा, खमरौध, कोटाडोल एवं अक्तवार में जहां बैगा समाज के लोग रहते हैं, वहां देखने को मिला।

सोहन बैगा का कहना है कि मुर्गी की विदाई करने से क्षेत्र में सुख-शांति बनी रहती है और महामारी के प्रकोप से भी ग्रामीणजन बचे रहते हैं। 

 

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