मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

केकड़ा, मछली और मुर्गा पकडऩे ग्रामीणों के बीच स्पर्धा
30-Mar-2024 1:06 PM
केकड़ा, मछली और मुर्गा पकडऩे ग्रामीणों के बीच स्पर्धा

अनूठे और रोमांचक खेल को देखने दूर-दूर से पहुंचे लोग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
मनेन्द्रगढ़, 30 मार्च।
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जिले के मनेंद्रगढ़ विकासखंड के ग्राम बैरागी में होली के 2 दिन बाद होने वाली अनोखी और रोमांचक खेल स्पर्धा को लेकर ग्रामीणों में उत्साह चरम पर रहा। केकड़ा, मछली और मुर्गा को पकडऩे के लिए ग्रामीणों के बीच हुई स्पर्धा को देखने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के अलावे दूर-दराज से भी महिलाएं, पुरूष और बच्चे बड़ी संख्या में बैरागी पहुंचे।

एमसीबी जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ से 35 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत ताराबहरा के आश्रित ग्राम बैरागी में अनूठी परंपरा है। यहां ग्रामीणों ने प्रकृति से जुड़े खेल तैयार किए हैं। इसमें केकड़े और मछली पकडऩे से लेकर मुर्गों को पकडऩे के लिए जंगल में दौड़ लगानी पड़ती है। 

इन खेलों में ग्रामीणों के बीच मान्यता है कि इससे गांव में खुशहाली आती है और यह अनोखा खेल रंग और उमंग के पर्व होली पर ग्रामीणों के मनोरंजन का भी साधन है। होली त्योहार के तीसरे दिन 27 मार्च बुधवार को ग्राम बैरागी की महिलाओं ने जंगल में स्थित नदी और तालाब से बड़ी संख्या में केकड़ा और मछली पकडक़र लाए। इसके बाद प्लास्टिक बिछाकर ऑर्टिफिशियल तालाब निर्मित कर उसमें पकडक़र लाए गए मछलियों और केकड़ों को पानी में छोड़ा गया, जिन्हें पकडऩे के लिए गांव के पुरूषों ने भाग लिया। कड़ी मशक्कत के बाद मछली और केकड़ा को पकडऩे में ताराबहरा के पूर्व सरपंच शिव प्रसाद व सरपंच पति राम प्रताप ने बाजी मारी।

मुर्गा पकडऩे में शिक्षिका ने बाजी मारी
इसके बाद मुर्गा पकडऩे की स्पर्धा शुरू हुई, जिसमें केवल महिलाओं ने भाग लिया। दो मुर्गों को खुले में छोडक़र उन्हें पकडऩे के लिए छोड़ा गया। लगभग 10 महिलाओं ने स्पर्धा में भाग लिया। महिलाएं मुर्गों को पकडऩे के लिए उनके पीछे दौड़ लगाती रहीं, अंतत: माध्यमिक शाला बैरागी में पदस्थ शिक्षिका बीनू सिदार ने सबसे पहले एक मुर्गे को दौड़ाकर पकड़ा इसके बाद ताराबहरा निवासी 22 वर्षीया युवती विजयवती ने दूसरे मुर्गे को पकडक़र द्वितीय स्थान प्राप्त किया।

सामूहिक भोज के साथ होली पर्व का समापन
ग्राम बैरागी के ग्रामीणों के अनुसार यह रिवाज वर्षों पहले शुरू की गई है। ताराबहरा के पूर्व सरपंच शिव प्रसाद ने कहा कि वे जब से पैदा हुए हैं, तब से इस कार्यक्रम को देखते आ रहे हैं।
ताराबहरा सरपंच के पति रामप्रताप ने बताया कि मुर्गा को पकडऩे के बाद उसे छोड़ दिया जाता है। इसके बाद देर शाम ग्रामीणों के सहयोग से सामूहिक भोज का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें पूरे गांव के लोग शामिल होते हैं और यहीं से होली पर्व का समापन होता है।

 

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