रायपुर
![डायसिस की पूर्व अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष ने किया 29 लाख का गबन डायसिस की पूर्व अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष ने किया 29 लाख का गबन](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/17184483180_copy.jpg)
सिविल लाइंस थाने में 409 का मामला दर्ज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जून। छत्तीसगढ़ मसीही समाज के सबसे बड़े शैक्षणिक संगठन डायसिस बोर्ड ऑफ़ एजुकेशन में 29 लाख के गबन का मामला सामने आया है। डायसिस के सचिव ने कल सिविल लाइंस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। यह गबन डायसिस की पूर्व अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष ने अपने कार्यकाल के सात वर्षों में किया था। इनमें एक बिशप पीसी सिंग भी है जो अपने पुत्र के साथ जबलपुर में गिरफ्तार है।
छत्तीसगढ़ डायोसीस वोर्ड आफ एजुकेशन, सीएनआई, रायपुर के इन पूर्व पदाधिकारियों ने मार्च 18 से मार्च 23 तक की अवधि में नियमो के विपरीत स्वहित में धन राशि की उगाही की।यह रकम करीब 40लाख है और अब तक 29 लाख का हेरफेर पकड़ में आया है। इसमे शामिल ये सभी,अभी फरारी काट रहे हैं। और अभी भी इसमें कुछ प्राचार्य भी फंसे हैं।इस गबन में हिस्सेदार रहे दो लोगों बिशप जेम्स ने 4 लाख और एक ड्राइवर ने 2 लाख रूपए जमा कर दी थी।
डायसिस के सचिव नितिन लारेंस और वर्तमान पदाधिकारियों ने पद सम्हालने के बाद इसे पकड़ा और पंजीयक फर्म्स एंड सोसायटी को शिकायत कर जांच कराई। पंजीयक ने अपनी जांच में करीब 40 लाख की पकड़ी। जो डायसिस बोर्ड के संचालित 16 स्कूलों में बच्चों की फीस और अन्य मद की राशि थी। इसमें हेराफेरी कर न बच्चों को लाभ पहुंचाया और न भवनों की माली हालत ही सुधारी गई। डायसिस ने इन सभी को 3-4 रिकवरी नोटिस देकर जमा करने कहा लेकिन जमा न कर स्वयं को पदाधिकारी बता भ्रमित कर रहे हैं। इन सभी को पीसी सिंग ने बिठाया था।
लारेंस की रिपोर्ट पर सिविल लाइंस पुलिस ने धारा 409,34 का अपराध दर्ज कर लिया है। लारेंस ने इन सभी की तस्वीरें भी पुलिस को सौंपी है। इन पूर्व पदाधिकारियों में श्रीमती एस. वाघे सचिव 10.45 लाख , रेव्ह. रॉबर्ट अली, अध्यक्ष 9.10लाख, रेव्ह. पी.सी. सिंग विभाजन के पूर्व के अध्यक्ष 20 हजार, सी. तवारिस कोषाध्यक्ष 7.60 लाख,श्रीमती डॉरथी अली सदस्य 1.80 लाख रूपए हासिल किया।
वर्ष 2016 में एक याचिका में उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ बिलासपुर में पंजीयक, फर्म्स एवं संस्थाएँ को डायसिस के विद्यालयो में वित्तीय अनियमितताओ की जांच कर कार्यवाही करने कहा था। पंजीयक के अधीन गठित 3 सदस्यीय जांच कमेटी ने समस्त विद्यालयो के लेखों की जांच कर अपने आदेश में इन सदस्यो के द्वारा नियमो के विपरीत पद का दुरूपयोग करते हुए आर्थिक लाभ प्राप्त करने संबंधी प्रतिवेदन कोर्ट को सौंपा।