राजनांदगांव
![कांग्रेस की समीक्षा बैठक में पूर्व सीएम बघेल की शिकवा-शिकायत कांग्रेस की समीक्षा बैठक में पूर्व सीएम बघेल की शिकवा-शिकायत](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1719908384hupesh-baghel-001.jpg)
सह पर्यवेक्षक ने नांदगांव के कार्यकर्ताओं से जानी हार की वजह
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 2 जुलाई। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर राजधानी रायपुर में सोमवार को सह पर्यवेक्षक हरीश चौधरी के समक्ष राजनांदगांव के कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ जमकर शिकवा-शिकायत की।
पर्यवेक्षक चौधरी के द्वारा पूछे गए हार की वजह के ज्यादातर सवालों के जवाब में कांग्रेस के नेताओं ने बघेल की मुख्यमंत्री रहते कार्यकर्ताओं की अनदेखी और अपने करीबियों के जरिये लोकसभा चुनाव संचालित करने को असल कारण बताया गया।
राजनांदगांव जिले से बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेताओं ने सह पर्यवेक्षक को जानकारी देते बताया कि किस तरह पूर्व सीएम ने राजनीतिक गतिविधियों को केन्द्रित करके रखा।
मुलाकात में यह भी बताया गया कि मुख्यमंत्री रहने के दौरान चुनिंदा लोगों को राजनीतिक तौर पर बघेल ने न सिर्फ उपकृत किया, बल्कि तमाम सांगठनिक फैसले और प्रशासनिक गतिविधियों के संचालन का जिम्मा भी सौंप दिया। नतीजतन पार्टी की साख खराब हो गई।
कांग्रेस के एक बड़े कद्दावर नेता के नाम का भी कई बार जिक्र किया गया। राजनांदगांव जिले में भूपेश बघेल के सह पर उक्त नेता की ताकत के सामने अन्य बौने साबित हुए।
बताया जा रहा है कि जिला पंचायत, जनपद पंचायत, ब्लॉक अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारियों ने सह पर्यवेक्षक चौधरी से खुलकर पूर्व सीएम के रवैये को हार का प्रमुख कारण बताया। पार्टी के भीतर 5 साल गुटबाजी रही। कुछ कांग्रेसी नेताओं ने बघेल का बाहरी होने की वजह से हार का सामना करने की जानकारी दी।
चर्चा है कि सह पर्यवेक्षक ने कार्यकर्ताओं के मन की बात को पूरी गंभीरता के साथ सुना है। हालांकि पार्टी हल्के में यह चर्चा है कि रिपोर्ट में कोई छेड़छाड़ नहीं होने की स्थिति में बघेल की राजनीति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। राजनांदगांव जिले के नेताओं ने अपनी उपेक्षा को लेकर बघेल और उनके समर्थकों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। चुनाव प्रचार के तौर तरीके से लेकर कार्यकर्ताओं से संवाद करने में अडिय़ल रवैया अपनाने को लेकर भी सह पर्यवेक्षक को विस्तृत रूप से अवगत कराया गया।
बाहरी नेताओं के राजनांदगांव में जमघट होने के कारण स्थानीय मतदाताओं में नाराजगी भी कांग्रेस की जीत की राह में अड़चनें खड़ी कर दी। तमाम परिस्थितियों से अवगत होने के बावजूद पूर्व सीएम ने अपने व्यवहार में कोई बदलाव नहीं किया। इस तरह बैठक में हर कार्यकर्ताओं ने बघेल को बाहरी प्रत्याशी होने और 5 साल राजनांदगांव की अनदेखी करने के कारण को कांग्रेस की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया।