दन्तेवाड़ा

सडक़ जो 16 बरस से थी नक्सल कब्जे में, कई कुर्बानियों व चुनौतियों के बाद बन रही
31-Dec-2020 6:00 PM
सडक़ जो 16 बरस से थी नक्सल कब्जे में,  कई कुर्बानियों व चुनौतियों के बाद बन रही

अब जगरगुंडा तक जाना होगा आसान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
किरंदुल, 31 दिसंबर।
दंतेवाड़ा जिले की ऐसी सडक़ जो 16 बरस से नक्सलियों के कब्जे में थी, अब कई कुर्बानियों व चुनौतियों के बाद बननी शुरू हो गई है। दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर से कमारगुड़ा तक 10 किमी पक्की सडक़ बन चुकी है, वहीं 8 किमी जगरगुंडा सुकमा जिले तक अभी और बनना बाकी है। 

दक्षिण बस्तर का सबसे धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र अरनपुर में बालक आश्रम के सामने संगमरमर के पत्थर पर विकास की गाथा लिखी दिखाई देगी। यह बात है 16 मार्च 2003 की, जब उस वक्त के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री शहीद महेंद्र कर्मा बस्तर टाइगर हुआ करते थे। उनके करकमलों द्वारा इस मार्ग का शिलान्यास किया गया और विकास की गाथा लिखी गई और एक सुनहरा सपना देखा गया। 

इस संगमरमर के पत्थर में साफ अंकित है कि मरियमगुंडा से जनकपुर कॉरिडोर मार्ग के तहत जगरगुंडा से किरंदुल तक 43.3 किमी की सडक़ बननी थी और क्षेत्र का विकास होना था। भूमिपूजन के दौरान उस वक्त के कोटा विधायक कवासी लखमा और छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र पामभोई भी मौजूद थे। उनका नाम भी उस पत्थर पर अंकित है। 

उस वक्त बस्तर टाइगर शहीद महेंद्र कर्मा ने जो सपना देखा था, आज वह पूरा होता नजर आ रहा है। 2004 के बाद से यह मार्ग नक्सलियों ने बंद कर रखा था, 16 वर्ष बाद यह मार्ग खोला गया पहेली बार यह प्रशासन पहुंचा।  इस मार्ग को लोग बारूदी सडक़ भी कहने लगे। नक्सलियों ने इस मार्ग पर  कई किलोमीटर मौत का सामान बिछा रखा था। मार्ग बनाते वक्त कई जवान विस्फोटक की चपेट में आये और कुछ तो शहीद भी हो गए। नक्सलियों ने पुलिस की एंटी लैंड माइंस व्हीकल को भी बारूद लगाकर उड़ा दिया। कई चुनौतियों के बाद यह मार्ग अब पूरा होने जा रहा है। 

इस मार्ग को बनाने के लिए पालनार, समेली, अरनपुर, कुंडापारा, कुंडासावली, कमाल पोस्ट और कामरगुड़ा सीआरपीएफ कैम्प खोला गया। इस मार्ग को बनाने ऐसे आधा दर्जन से ज्यादा पुलिस कैंप स्थापित किए गए, लगभग 16 साल बाद यहां मार्ग बनने जा रहा है और बस्तर टाइगर शहीद महेंद्र  कर्मा ने जो सपना देखा था, आज वह पूरा होता नजर आ रहा है। पहले यह मार्ग किरंदुल से पेरपा, मडक़मीरास, हिरोली, गुमियापाल, तेनेली, पेडक़ा गांव से होते हुए अरनपुर से जगरगुंडा तक जुडऩा था, पर नक्सली दवाब के चलते जिला प्रशासन ने इस मार्ग को किरंदुल पालनार से होते हुए जगरगुंडा तक बनाने का फैसला लिया। एक समय में सबसे बड़ा बेल बाजार  जगरगुंडा में लगता था, पर माओवाद ने पूरे क्षेत्र को निगल लिया यह के लोग विकास से कोसो दूर हो गए। आज एक रोशनी की किरण नजर आ रही है। 

कलेक्टर दंतेवाड़ा दीपक सोनी ने कहा कि कई साल बाद इन गांवों में खुशियां लौटी है। गांव में पानी के लिए हैंडपंप, पीडीएस की दुकान, सडक़, पुल-पुलिया, स्वास्थ्य सुविधा और अभी बिजली की भी व्यवस्था की जा रही है। ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा प्रदान करना प्रशासन की जिम्मेदारी है और ग्रामीणों को रोजगार के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

एसपी दंतेवाड़ा डॉ. अभिषेक पल्लव का कहना है कि जवान नक्सलियों को चुनौती देते हुए आज जगरगुंडा तक पहुंच गए हंै और क्षेत्र के एक-एक गांव तक विकास पहुंचाना हमारा पहला लक्ष्य है। मूलभूत सुविधा गांव तक पहुंचाई जा रही है और  ग्रामीण भी खुश हंै। उन्होंने कहा कि जो सपना शहीद महेंद्र कर्मा ने देखा था वो पूरा हो रहा है और मैं तो ये कहता हूं कि इस मार्ग का नाम भी शहीद महेंद्र कर्मा मार्ग होना चाहिए।

 

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