राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ से खास चर्चा में गोधन योजना के साथ गौ आश्रम खोलने का दिया सुझाव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 6 जनवरी। राजनांदगांव जिले के सुदूर अंबागढ़ चौकी कस्बे में कोविड-19 के तनाव से गुजर रहे लोगों को धार्मिक नजरिये से जीवन जीने की कला की सीख देने के लिए इन दिनों श्रीमद् भागवत कथा में भगवताचार्य विनोद गोस्वामी सांसारिक मूल्यों की समझ बढ़ाने के लिए गीता के उपदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करने पर जोर दे रहे हैं। उनके वाणी में हाल में धर्म और कर्म के क्षेत्र में वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर आए बदलाव से जुड़ी प्रेरणायोग्य वचन सुनकर लोग अभिभूत हुए हैं।
‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में भगवताचार्य श्री गोस्वामी ने सामाजिक और धार्मिक मुद्दों को लेकर चर्चा की।
0 ऐसे समय में आप प्रवचन कर रहे हैं, जब मनुष्य का जीवन कोविड-19 के चलते संकट में है। धार्मिक रूप से इसके बचाव को लेकर आपका क्या संदेश है?
00 प्रकृति में आए बदलाव के चलते मनुष्य को कोरोनाकाल के दौर में संघर्ष करना पड़ रहा है। हर कुछ दशकों में वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल होती है। इंसान हमेशा कठिन दौर में ईश्वर के और नजदीक पहुंचता है। मैं मानता हूं कि धार्मिक नजरिये को अपनाकर इस संकट से उबरा जा सकता है, इसके लिए संयम और संघर्ष की आवश्यकता होती है।
0 भारतीय संस्कृति में धर्म की मौजूदा स्थिति को आप कैसा मानते हैं? क्या सनातन धर्म के अनुरूप हमारी संस्कृति अब भी अक्षुण्ण है?
00 भारतीय संस्कृति का गौरव काफी मजबूत रहा है। हमारी संस्कृति को दुनिया आत्मसात करती है। धर्म-कर्म की महत्ता अब भी हमारे बीच बरकरार है। समय-समय पर संस्कृति को लेकर नजरियों में जरूर फर्क हो सकता है, लेकिन उसकी पृष्ठभूमि हमेशा अक्षुण्ण रही है। सनातन धर्म के अनुरूप आज भी हमारी संस्कृति में पृथ्वी के सभी मौजूद तत्वों को धार्मिक रूप से महत्व मिलता है।
0 छत्तीसगढ़ सरकार की एक अहम योजना गोधन योजना को आप धर्म के कितने करीब मानते हैं? क्या यह योजना देश के दूसरे हिस्सों में भी लागू किया जा सकता है?
00 प्रदेश सरकार की इस योजना से राज्य के लोगों का मान बढ़ा है। केंद्र सरकार भी इस योजना से अभिभूत है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौसंरक्षण के साथ रोजगारमूलक सोंच के आधार पर गोधन योजना की शुरूआत की है। गायों की सुरक्षा और उनके संरक्षण को लेकर यह योजना बिल्कुल सटीक है। मैं मानता हूं कि देश के दूसरे राज्यों को भी इस योजना का आत्मसात करना चाहिए।
0 राजनीति से आप विमुख हो गए हैं, ऐसी क्या परिस्थिति बनी कि आपने अध्यात्म का रास्ता चुना?
00 मेरे पिताजी सदैव यह कहते थे कि व्यासपीठ पर बैठे कथावाचक के मुख से राजनीतिक संदेश नहीं निकलने चाहिए। ऐसे में भागवत कथा के श्रोता और भक्त संदेशों को लेकर निष्पक्ष होने को लेकर असमंजस्य की स्थिति में रहते हैं। हमेशा इस स्थिति से बचना चाहिए।
0 समूचे देश में धार्मिक भावनाओं के जरिये एक वर्ग विशेष में तनाव के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। धर्म एक रास्ता दिखाता है, फिर आपसी रिश्तों में कडुवाहट को बढ़ाने की मुहिम क्यों चल रही है?
00 हर धार्मिक आयोजनों में एकता और आपसी सौहद्र्र की सीख दी जाती है। मनुष्य को तनाव से हमेशा नुकसान हुआ है। धर्म का काम रास्ता दिखाना है। कथाओं और प्रवचनों में मिले ज्ञान में कहीं भी कडुवाहट और रिश्तों में तल्खी नहीं मिलती। देश में बन रही इस तरह की स्थिति को धैर्य के साथ सुलझाया जा सकता है।