गरियाबंद

प्रभारी अफसरों के भरोसे उदंती अभ्यारण्य
08-Feb-2021 7:43 PM
प्रभारी अफसरों के भरोसे उदंती अभ्यारण्य

  कर्मचारियों की कमी, अवैध कटाई के साथ अतिक्रमण व तस्करी के मामले बढ़े  

छत्तीसगढ़ संवाददाता

मैनपुर, 8 फरवरी। उदंती अभ्यारण्य प्रभारी अफसरों के भरोसे है। यहां कर्मचारियों की कमी के कारण अवैध कटाई के साथ अतिक्रमण व तस्करी के मामले बढ़े हैं।

ज्ञात हो कि वन व वन्यप्राणियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन द्वारा 36 साल पहले सन् 1983 में क्षेत्र के बीहड़ जंगल उदंती को अभ्यारण घोषित किया गया था और उदंती अभ्यारण घोषित करने के बाद यहां के जंगल मे वन्यप्राणियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए सरकार द्वारा लाखों-करोड़ो रूपये खर्च किया गया है।

उदंती अभ्यारण को पूरे देश में छत्तीसगढ़ राज्य के अति दुर्लभ राजकीय पशु वनभैंसों के नाम से जाना जाता है, शासन द्वारा उदंती और सीतानदी अभ्यारण को मिलाकर 20 फरवरी 2009 को उदंती सीतानदी नेशनल टाईगर रिजर्व क्षेत्र बनाया गया है। उदंती अभयारण्य 1842.54 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यहां राजकीय पशु वनभैंसा के साथ तेन्दुआ, मोर, खरगोश, हिरण सांभर, नीलगाय, लकड़बघा, गौर, सियार, भालू, लंगुर, जंगली कुत्ता, सोनकुत्ता, जंगली सुअर, के साथ अन्य वन्यप्राणी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, और घने जंगल के साथ उदंती अभ्यारण्य काफी महत्वपूर्ण है लेकिन इतना महत्वपूर्ण जंगल क्षेत्र इन दिनों प्रभारी अधिकारियों के भरोसे संचालित हो रहा है।

उदंती अभ्यारण्य को उत्तर उदंती और दक्षिण उदंती में बांटा गया है। इन दोनों वन परिक्षेत्रों में वन परिक्षेत्र अधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद रिक्त है, और वन परिक्षेत्र इदागांव तथा तौरेंंगा वन परिक्षेत्र के अधिकारी के द्वारा उत्तर उदंती और दक्षिण उदंती का प्रभार लेकर इतना महत्वपूर्ण जंगल व वन्य प्राणियो की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाया जा रहा है, विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उदंती अभ्यारण्य में लगभग 22 बीट है लेकिन मात्र 10 बीट गार्डो के भरोंसे 22 बीटों की सुरक्षा किया जा रहा है, लंबे वर्षों से यहां वन कर्मचारियों की कमी बनी हुई है।

पिछले कुछ वर्षो में उदंती अभ्यारण्य के भीतर जंगलों में जमकर अवैध कटाई के साथ अतिक्रमण के मामले समाने आए हैं, जिस पर वन विभाग ने ही कार्यवाही किया है और तो और यहां वन्य प्राणी भी सुरक्षित नहीं है। वन विभाग द्वारा पिछले दो-तीन वर्षो के भीतर इस क्षेत्र में जिंदा वन्य प्राणियों के तस्करी के मामले सामने आए हंै, तो कई वन्य प्राणियों के खाल व अपराधियों को वन विभाग ने ही कार्यवाही कर सलाखों के पीछे भेजा है।

गर्मी में आगजनी बढ़ जाती है

उदंती अभ्यारण्य में वन्य प्राणियों के प्यास बुझाने के लिए विभाग के द्वारा तो लगभग 50 से ज्यादा तालाब अभ्यारण्य क्षेत्र के जंगल में खोदाई किया गया है, लेकिन गर्मी के दिनों में अधिकांश तालाबों में पानी सूख जाता है और नदी-नाले-पोखर सूख जाने से वन्य प्राणी गांव के नजदीक तथा नेशनल हाईवे के किनारे आसानी से मंडराते देखे जाते हैं।

साथ ही जंगलो में अवैध शिकार के भी मामले गर्मी के दिनों में ज्यादा आते हैं, और हर वर्ष गर्मी के दिनों में उदंती अभ्यारण्य के जंगल आग के लपटों में समा जाता है जिसके चलते जंगल को जहां भारी नुकसान होता है, वहीं वन्य प्राणियों की सामत आ जाती है, इसलिए गर्मी प्रारंभ होने से पहले विभाग को उदंती अभ्यारण्य के महत्वपूर्ण जंगल में अपनी सारी महत्वपूर्ण तैयारियों को चुस्त दुरूस्थ करने की आवश्यकता है, और उदंती अभ्यारण्य में तालाबों को गर्मी के दिनों में भरने के लिए टयूबवेल खनन किया गया है, उन टयूबवेलों को अभीे से शुरू कर देने से गर्मी के दिनों में पानी की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के एसडीओ मनेन्द्र सिदार ने ‘छत्तीसगढ़’ को चर्चा में बताया उदंती अभ्यारण्य में वन्यप्राणियों के प्यास बुझाने के लिए 50 से भी ज्यादा तालाब है और यहां दोनों वन परिक्षेत्र उत्तर उदंती और दक्षिण उदंती मेंं प्रभारी रेंजर पदस्थ हैं। उन्होंने आगे बताया पर्याप्त बीट गार्ड व अन्य कर्मचारियों की भी कमी बनी हुई है, जिसकी जानकारी विभाग के आला अधिकारियों को भेजा जा चुका है।

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