गरियाबंद
शासन-प्रशासन के चक्कर काटने मजबूर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 9 फरवरी। तेल नदी सेतु निर्माण को एक दशक बीत गया परंतु सेतु निर्माण के लिए जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। उन किसानों को आज पर्यंत पूरा मुआवजा नहीं मिल पाया है। जमीन गंवाने वाले किसान आज भी शासन-प्रशासन के चक्कर काटने को मजबूर हैं। किसानों से मिली जानकारी अनुसार मुआवजा के नाम पर अब तक उन्हें केवल एक किश्त दी गई है, उसे भी पांच साल बीत गया। शेष राशि के लिए वे लगातार शासन प्रशासन के चक्कर काटने मजबूर हैं। वहीं मुआवजा की दरकार कर रहे 6 किसानों की तो मौत भी हो चुकी है।
ज्ञात हो कि 12 साल पहले जिले के अंतिम छोर में बसे देवभोग ब्लॉक अंतर्गत तेल नदी में सेतु निर्माण किया गया है। जिसमें अंचल की दो ग्राम पंचायत कुम्हड़ईखुर्द और कुम्हड़ईकला के 28 किसानों की 4.92 हेक्टयर जमीन की अधिग्रहित की गई थी। इसके बदले किसानों को 6232574 रूपए का मुआवजा दिया जाना था। जिसमें ग्राम पंचायत कुम्हड़ईखुर्द के 15 किसानों को 2416614 रूपए तथा ग्राम पंचायम कुम्हड़ईकला के 13 किसानों को 3815960 रूपए का मुआवजा राशि मिलनी थी।
किसानों ने बताया कि मुआवजा के नाम पर उन्हेंं पांच साल पहले केवल कुछ हजार रूपए दिए गए है जिसके बाद से वे शेष राशि या दूसरी किश्त के लिए भी शासन-प्रशासन के चक्कर काट रहे है।
सोमवार को फिर ये किसान जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम के नेतृत्व में लंबित राशि की मांग को लेकर जिला कार्यालय पहुंचे थे। जहां किसानों ने कलेक्टर से शेष मुआवाजा राशि दिलाने की मांग की।
यहां पहुंचे किसान सारथी राम नेताम, रामेश्वर पात्र, कुंतोराम, निरादी, सुदुर सहित अन्य किसानों ने बताया कि देवभोग एसडीएम व कलेक्टर को मुआवजा राशि की मांग लेकर कई बार आवेदन कर चुके है।
लोक सुराज अभियान के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह से भी मिलकर मुआवजा राशि देने की मांग कर चुके है, परंतु शासन प्रशासन द्वारा उनकी मांगों को गंभीरता नहीं से ध्यान नहीं देने के चलते वर्षों से पीडि़त है। आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हंै।
इस संबंध में जल संसाधन विभाग के ई पीके आनंद से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि मुआवजा प्रकरण की कार्रवाई लंबित है। मामले की अधिक जानकारी एसडीओ से लेनी होगी, उसके बाद ही कुछ बता सकूंगा।
अनुविभागीय अधिकारी अनुप कुमार टोप्पो ने बताया कि प्रकरण भुगतान संबंधी मार्गदर्शन हेतु कलेक्टर से शासन को भेजा गया है। मार्गदर्शन मिलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।