सामान्य ज्ञान

चकबंदी क्या है
21-Jun-2021 12:50 PM
चकबंदी क्या है

चकबंदी वह विधि है जिसके द्वारा व्यक्तिगत खेती को टुकड़ों में विभक्त होने से रोका एवं संचयित किया जाता है तथा किसी ग्राम की समस्त भूमि को और कृषकों के बिखरे हुए भूमिखंडों को एक पृथक क्षेत्र में बदल दिया जाता है।  चकबंदी द्वारा चकों का विस्तार होता है, जिससे कृषक के लिये कृषिविधियां सरल हो जाती हैं और पारिश्रमिक तथा समय की बचत के साथ साथ चक की निगरानी करने में भी सरलता हो जाती है। इसके द्वारा उस भूमि की भी बचत हो जाती है जो बिखरे हुए खेतों की मेड़ों से घिर जाती है। 

चकबंदी का कार्य सर्वप्रथम प्रायोगिक रूप से सन 1920 में पंजाब में प्रारंभ किया गया था। सरकारी संरक्षण में सहकारी समितियों का निर्माण हुआ, ताकि चकबंदी का कार्य ऐच्छिक आधार पर किया जा सके। प्रयोग सामान्य: सफल रहा, किंतु यह आवश्यक समझा गया कि पंजाब चकबंदी कानून 1936 में पास किया जाए, जिसके द्वारा अधिकारियों को योजना तथा काश्तकारों के मतभेदों का निर्णय करने का अधिकार प्राप्त हो जाए। 1928 में रायल कमीशन ऑन ऐग्रीकल्चर इन इंडिया ने  अन्य प्रांतों में भी चकबंदी अपनाने की सलाह दी। परंतु केंद्रीय प्रांतों और पंजाब के अतिरिक्त, जहां कुछ सीमित सफलता के साथ चकबंदी कार्य हुआ, अन्य प्रांतों में बहुत कम सफलता प्राप्त हुई। 
 
स्वतंत्रता के बाद  चकबंदी पद्धति में व्यावहारिक रूप से ऐच्छिक स्वीकृति के सिद्धांत का समाप्त कर एक नवीन प्रेरणा प्रदान की गई। बंबई में प्रथम बार 1947 में पारित एक विधान द्वारा सरकार को यह अधिकार प्राप्त हुआ कि वह जहां उचित समझे, चकबंदी कार्य लागू करे। जिन प्रांतों ने इस प्रथा का पालन किया उसमें पंजाब (1948), उत्तर प्रदेश (1953 और 1958), पं. बंगाल (1955), बिहार तथा हैदराबाद (1956) शामिल हैं। प्रांतीय सरकारों को केंद्रीय सरकार द्वारा बहुत प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। तीनों पंचवर्षीय योजनाओं में चकबंदी के विस्तार का आयोजन किया गया और मई, 1957 में भारतीय सरकार ने यह घोषणा की कि वह राज्यों का चकबंदी कार्य लागू करने के लिये बहुत सीमा तक आर्थिक सहायता देने के लिये सहमत है।

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