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बर्लिन, जर्मनी की राजधानी कब बनी
24-Jun-2021 12:51 PM
बर्लिन, जर्मनी की राजधानी कब बनी

20 जून 1991 को जर्मनी की राजधानी फिर से बर्लिन ले जाने के बारे में संसद में मतदान हुआ था। इस प्रस्ताव के पक्ष में 338 और विरोध में 320 वोट पड़े। इसी के साथ तय हो गया कि एकीकृत जर्मनी की राजधानी बॉन की बजाए बर्लिन होगी। देश के दक्षिणी और पश्चिमी प्रांतों के सांसदों ने बॉन के पक्ष में जबकि उत्तरी और पूर्वी प्रांतों के सांसदों ने बर्लिन के पक्ष में मत दिया।

1990 में जर्मनी के एकीकरण के बाद से बर्लिन को फिर से राजधानी बनाने की बहस शुरू हो गई थी। इस फैसले के साथ ही सरकार और संसद बॉन से बर्लिन चली गई, लेकिन छह मंत्रालयों का मुख्यालय अभी भी बॉन में ही हैं, जिनमें रक्षा और कृषि मंत्रालय शामिल हैं। जो मंत्रालय बर्लिन चले गए हैं, उनकी एक शाखा बॉन में भी है। राजधानी बदलने का फैसला होने के बाद उसे लागू करने में आठ साल और लग गए। वर्ष 1999 में राजधानी बर्लिन चली गई।

वर्ष 1949 में पश्चिमी जर्मनी की अंतरिम राजधानी बॉन बनाई गई। इस शहर को पश्चिम जर्मनी के पहले चांसलर कोनराड आडेनावर की सलाह पर चुना गया। आडेनावर कोलोन के मेयर थे और इसी इलाके के रहने वाले भी। उनका मानना था कि बॉन को अंतरिम राजधानी बनाने से एकीकरण के बाद उसे बर्लिन ले जाना आसान होगा।
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कौन थीं अम्बा, अम्बालिका और अम्बिका
महाभारत के अनुसार अम्बा, अम्बालिका और अम्बिका तीनों सगी बहनें थीं।  काशीराज इन्द्रद्युम्न की तीन कन्याओं में ज्येष्ठ कन्या अम्बा थीं। भीष्म ने अपने दो सौतले छोटे भाईयों- विचित्रवीर्य और चित्रांगद के विवाह के लिए काशीराज की पुत्रियों का अपहरण किया था।

भीष्म के पराक्रम के कारण अम्बा उन पर मुग्ध थीं और उनसे विवाह करना चाहती थीं। किन्तु भीष्म आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा कर चुके थे, अत: उन्होंने विवाह करने से इंकार कर दिया।   इस अपहरण की घटना के पूर्व अम्बा का विवाह शाल्व के साथ होना निश्चित हो चुका था। परन्तु इस घटना के कारण शाल्व ने भी अम्बा से विवाह करना अस्वीकार कर दिया। प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर अम्बा ने भीष्म के विनाश का प्रण लिया और कठिन तपस्या की। अम्बा ने शिव का वरदान प्राप्त कर आगामी जन्म में शिखण्डी के रूप में जन्म लिया और भीष्म पितामह की मौत का कारण बनीं। अर्जुन के रथ पर जब  काशीराज इन्द्रद्युम्न की कनिष्ठा कन्या अम्बालिका थीं।  सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य इनके पति थे और पांडु इनके पुत्र। पांडु की उत्पत्ति व्यास के द्वारा मानी जाती है।  वहीं अम्बिका सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य की पत्नी थीं। 

 

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