सामान्य ज्ञान

अलकनंदा
25-Jun-2021 12:50 PM
अलकनंदा

अलकनन्दा नदी गंगा की सहयोगी नदी हैं। यह गंगा के चार नामों में से एक है। चार धामों में गंगा के कई रूप और नाम हैं। गंगोत्री में गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है, केदारनाथ में मंदाकिनी और बद्रीनाथ में अलकनन्दा। यह उत्तराखंड में शतपथ और भगीरथ खडक़ नामक हिमनदों से निकलती है। यह स्थान गंगोत्री कहलाता है। 

अलकनंदा नदी घाटी में लगभग 229 किमी तक बहती है। देव प्रयाग या विष्णु प्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी का संगम होता है और इसके बाद अलकनंदा नाम समाप्त होकर केवल गंगा नाम रह जाता है।  अलकनंदा चमोली टेहरी और पौड़ी जिलों से होकर गुजऱती है। गंगा के पानी में इसका योगदान भागीरथी से अधिक है। हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनाथ अलखनंदा के तट पर ही बसा हुआ है। राफ्टिंग इत्यादि साहसिक नौका खेलों के लिए यह नदी बहुत लोकप्रिय है। तिब्बत की सीमा के पास केशवप्रयाग स्थान पर यह आधुनिक सरस्वती नदी से मिलती है। केशवप्रयाग बद्रीनाथ से कुछ ऊंचाई पर स्थित है।

अलकनन्दा नदी कहीं बहुत गहरी, तो कहीं उथली है, नदी की औसत गहराई 5 फुट (1.3 मीटर), और अधिकतम गहराई 14 फीट (4.4 मीटर) है।

अलकनंदा की पांच सहायक नदियां हैं जो गढ़वाल क्षेत्र में 5 अलग अलग स्थानों पर अलकनंदा से मिलकर पंच प्रयाग बनाती हैं।  ये हैं-
1. विष्णु प्रयाग जहां धौली गंगा अलकनंदा से मिलती है।
2. नंद प्रयाग जहां नंदाकिनी अलकनंदा से मिलती है।
3. कर्ण प्रयाग जहां पिंडारी अलकनंदा से मिलती है।
4. रूद्र प्रयाग जहां मंदाकिनी अलकनंदा से मिलती है।
5. देव प्रयाग जहां भागीरथी अलकनंदा से मिलती है। अलकनंदा गंगा की एक प्रधान शाखा अथवा सहायक नदी है। यह हिमालय से निकलकर संयुक्त प्रांत के गढ़वाल जिले के ऊपरी भाग में बहती हुई टिहरी गढ़वाल जिले के देवप्रयाग नामक स्थान पर बाईं ओर से आने वाली भागीरथी से मिलकर गंगा का निर्माण करती है। 

अलकनंदा भी भारत की पवित्र नदियों में गिनी जाती है। माउंट कैमेट (25 हजार 447 फुट) के पाश्र्व से धौली तथा सरस्वती नदियां आती हैं और गंगोत्तरी केदारनाथ-बदरीनाथ शिखरसमूह (22 से 23 हजार फुट) के पूर्वी पाश्र्व  में उनके मिलने से अलकनंदा नदी बन जाती है। इस शिखरसमूह के पश्चिमी अंचलों से भागीरथी निकलती है और टिहरी गढ़वाल जिले के देवप्रयाग नामक स्थान में अलकनंदा के संगम से पुण्यसलिला गंगा का निर्माण होता है। भागीरथी संगम के पूर्व अलकनंदा नदी में पिंदर, नंदाकिनी एवं मंदाकिनी नदियां मिलती हैं और इन संगमों पर कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग और रुद्रप्रयाग नामक तीर्थस्थान हैं।

बद्रीनाथ से थोड़ी दूर ऊपर अलकनंदा नदी की चौड़ाई 18 या 20 फुट है, पथ उथला एवं धारा तीव्र है। इसके ऊपर नदी का मार्ग हिमपुंजों के भीतर ढंका रहता है। शास्त्रों में उल्लेखित अलकापुरी, कुबेर की महानगरी इसके उत्तरांचल में स्थित है। देवप्रयाग में नदी की चौड़ाई 140-150 फुट हो जाती है। नदी के पाश्र्व में 7 हजार फुट की ऊंचाई तक हिमोढ़ (मोरेंस) पाए जाते हैं जब कि आज की हिमनदियां 13 हजार फुट से नीचे नहीं मिलतीं। अलकनंदा के तट पर श्रीनगर नामक नगर सुशोभित है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news