सामान्य ज्ञान

भरणी नक्षत्र
27-Jun-2021 1:24 PM
भरणी नक्षत्र

भरणी नक्षत्र आकाश मंडल में द्वितीय नक्षत्र है। इसका अर्थ है-धारक। नक्षत्रों की कड़ी में भरणी को द्वितीय नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र ग्रह होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति भरणी नक्षत्र में जन्म लेते हैं वे सुख सुविधाओं एवं ऐशो आराम चाहने वाले होते हैं। इनका जीवन भोग विलास एवं आनन्द में बीतता है। ये देखने में आकर्षक और सुंदर होते हैं। इनका स्वभाव भी सुन्दर होता है जिससे ये सभी का मन मोह लेते हैं। इनके जीवन में प्रेम का स्थान सर्वोपरि होता है। इनके हृदय में प्रेम तरंगित होता रहता है ये विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति आकर्षण एवं लगाव रखते हैं।

भरणी नक्षत्र में यम का व्रत और पूजन किया जाता है।  भरणी नक्षत्र का देवता शुक्र को माना जाता है। युग्म वृक्ष को भरणी नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति युग्म वृक्ष की पूजा करते हैं।  इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने घर में युग्म वृक्ष के पेड़ लगाते हैं।

 

कल्प
सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग के अतिरिक्त समय की गणना के लिए भारत में कल्प का मापदंड भी माना जाता है।  चारों युगों का एक महायुग होता है और एक हजार महायुग मिलकर एक कल्प बनाने हैं।  ब्रह्मïा का एक दिन भी  कल्प कहलाता है।  उसके बाद प्रलय होता है।  इस प्रकार कल्प का अर्थ हुआ- विश्व की रचना से लेकर उसके नाश तक की आयु।
 
कहते हैं कि आज तक ब्रह्मïा के 50 वर्ष बीते हैं।  51 वें वर्ष के तीन युग समाप्त हुए हैं और चौथे यानी कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है। युगों की तो कालावधि निर्धारित की गई है। उसके अनुसार एक कल्प में चार अरब, बत्तीस करोड़ वर्ष होते हैं। 

पुष्यमित्र शुंग
पुष्यमित्र शुंग अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ का सेनापति था। उसने 184 ई.पू. में सम्राट बृहद्रथ की हत्या की तथा मगध में शुंग-वंश के शासन की स्थापना की। पुष्यमित्र शुंग ब्राह्मïण था। उसने 184 ई.पू. से 148 ई.पू. तक शासन किया। पुष्यमित्र एक योग्य एवं प्रतापी शासक था। पुष्यमित्र शुंग ने राजा बनने के पश्चात सबसे पहले अपने साम्राज्य का पुनर्संगठन किया, क्योंकि अशोक के उत्तराधिकारियों के कमजोर होने के कारण साम्राज्य की स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी थी।

राज्य को शक्तिशाली बनाने के पश्चात पुष्यमित्र ने साम्राज्य विस्तार का प्रयास किया तथा सर्वप्रथम विदर्भ पर विजय प्राप्त की। पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल की सर्वप्रथम घटना यवनों द्वारा भारत का अभियान था। प्रारंभ में पुष्यमित्र को यवनों के विरूद्घ सफलता मिली, किंतु बाद में यवन सेनापति मीनेंडर ने पुष्यमित्र के राज्य के अनेक भू-भागों पर अधिकार कर लिया। मीनेंडर के वापस लौट जाने के पर पुष्यमित्र ने पुन: उन क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। पुष्यमित्र शुंग पर बौद्घों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया जाता है, किंतु यह सत्य प्रतीत नहीं होता। अधिकांश इतिहासकार उसे धर्म सहिष्णु ही मानते हैं। पुष्यमित्र शुंग की मृत्यु 148 ई. पू. में हुई।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news