सामान्य ज्ञान
जमशेदजी टाटा-पूरा नाम जमशेदजी नुसरवानजी टाटा भारत के पहले उद्योगपतियों में से एक थे। 3 मार्च 1839 में पैदा हुए जमशेदजी ने भारत में बड़े कारोबार की नींव रखी। उन्होंने टाटा कंपनी की नींव रखी। आज टाटा भारत की सबसे बड़ी संगठित यानी कोनग्लोमरेट कंपनियों में से है जो साबुन से लेकर ट्रकें और सॉफ्टवेयर बनाती है।
जमशेदजी टाटा के बिना भारत- सोचने में भी अजीब लगता है। उन्होंने सूत के मिलों से अपने उद्योग की शुरुआत की। उस वक्त पूंजी के तौर पर उनके पास 21 हजार रुपये थे। जमशेदजी की जिंदगी के चार मकसद थे, इस्पात की फैक्ट्री खोलना, एक विश्व स्तर का शिक्षा संस्थान स्थापित करना, एक होटल और एक हाइड्रो बिजली प्लांट बनाना।
इस्पात और लोहे में जमशेदजी की दिलचस्पी तब जागी जब वह मैंचेस्टर में अपनी मिल के लिए नई मशीनें लेने गए। यात्रा में उन्होंने थोमास कार्लाईल का एक भाषण सुना। कार्लाईल उस वक्त एक मशहूर लेखक और इतिहासकार थे। इसके बाद जमशेदजी भारत में एक विश्व स्तर का इस्पात प्लांट बनाने का सपना देखने लगे। भारत में उस वक्त राजनीतिक हालात बहुत अच्छे नहीं थे और 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार भारतीयों पर निगरानी और कड़ी कर रही थी। वहीं औद्योगिक क्रांति पूरे यूरोप को उबार रही थी, लेकिन भारत प्राचीन काल में ही फंसा रहा। जमशेदजी उन लोगों में से थे जो भारत के विकास के सपने देख रहे थे। उद्योगपति होने के साथ-साथ जमशेदजी को यह भी अहसास था कि देश में नई प्रतिभाओं को ढूंढने की जरूरत है और बचपन से उनके हुनर को पहचानकर उसे बेहतर करने के लिए उन्होंने शिक्षा संस्थानों की भी स्थापना की।
जमशेदजी का होटल बनाने का भी सपना था। कहा जाता है कि वे एक बार मुंबई के होटल में जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें भारतीय होने की वजह से वहां जाने से रोक दिया गया। उसी वक्त उन्होंने फैसला किया कि वे ऐसे शानदार होटल बनाएंगे, जिनमें हर तरह का ऐशो आराम होगा और जहां कोई भी भारतीय आ सकेगा। ताज महल होटल जमशेदजी का ही सपना था जो पूरा हुआ। 19 मई 1904 को जमशेदजी नुसरवानजी टाटा का निधन हुआ।