सामान्य ज्ञान
लाफिंग बुद्धा को चीन में बुदई और जापान में होतेइ के नाम से जाना जाता है। लाफि़ंग बुद्धा को, बौद्ध, ताओवादी और शिन्तो संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।
कोई एक हज़ार साल पहले चीन में एक चान भिक्षु हुए हैं जिन्हें संतोष और समृद्धि का देवता माना जाता है। इन्हें लाफि़ंग बुद्धा इसलिए कहते हैं क्योंकि ये हमेशा हंसते हुए दिखाए जाते हैं। ये गंजे हैं, इनकी बड़ी सी तोंद है और इनके पास एक बोरा रखा रहता है जिसमें बहुत सी बहुमूल्य चीज़ें भरी रहती हैं और माना जाता है कि ये कभी ख़ाली नहीं होता। इनके परोपकारी स्वभाव के कारण ही इन्हें बोधिसत्व का अवतार माना जाता है जो मैत्रेय या भावी बुद्ध होंगे।
क्या है करंट अकाउंट डेफिसिट
किसी देश के करंट अकाउंट डेफिसिट यानी (सीएडी) से पता चलता है कि उसने गुड्स, सर्विस और ट्रांसफर्स के एक्सपोर्ट के मुकाबले कितना ज्यादा इंपोर्ट किया है। यह जरूरी नहीं है किकरंट अकाउंट डेफिसिट देश के लिए नुकसानदेह ही होगा। विकासशील देशों में लोकल प्रॉडक्टिविटी और फ्यूचर में एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए शॉर्ट टर्म में करंट अकाउंट डेफिसिट हो सकता है। लेकिन लॉन्ग टर्म में करंट अकाउंट डेफिसिटी इकॉनमी का दम निकाल सकती है।
करंट अकाउंट डेफिसिट की फंडिंग कई तरह के कैपिटल फंड इनफ्लो से की जाती है। इसमें पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट, एक्सटर्नल कमर्शल बॉरोइंग यानी ईसीबी, फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट्स (एफडीआई) और एनआरआई डिपॉजिट शामिल हो सकते हैं। सीएडी की फाइनैंसिंग के पर्याप्त संसाधन नहीं होने से लोकल करंसी की वैल्यू कम होती है। इसका सबसे अच्छा तरीका फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट जैसा नॉन-डेट क्रिएटिंग लॉन्ग टर्म इनफ्लो है। पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट (कभी-कभार हॉट मनी कहलाने वाले) जैसे उतार-चढ़ाव वाले फंड इनफ्लो से एक्सटर्नल सेक्टर की बैलेंसशीट गड़बड़ा सकती है।
करंट अकाउंट डेफिसिट को घटाने के उपाय बहुत कम रह गए हैं, क्योंकि हर हाल में इंपोर्ट होने वाली चीजों की कीमत बढ़ रही है जबकि एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी हो नहीं रही है। इंडिया की इकनॉमिक हालत को देखते हुए इसका सीएडी 2.5 फीसदी होना चाहिए। अब सरकार के सामने एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने और गोल्ड जैसे गैरजरूरी चीजों का इंपोर्ट घटाने की चुनौती है। गोल्ड इंपोर्ट कम करने के लिए सरकार और आरबीआई ने हाल में कई कदम उठाए हैं। सरकार का दावा है कि अब इसका असर दिखना शुरू हो गया है।