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यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी
28-Jun-2021 10:52 AM
यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी

यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी पूर्वी सिसली के माउंट एटना और जापान के माउंट फुजी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है।  
विश्व धरोहर कमेटी ने इटली के माउंट एटना को यह पदवी 2 हजार 700 साल से सक्रिय होने और इसके वैज्ञानिक महत्व के मद्देनजर दी है और कहा कि इसका शैक्षणिक और सांस्कृतिक महत्व वैश्विक है।
वहीं जापान के माउंट फुजी को विश्व धरोहर घोषित करते हुए कमेटी ने कहा, इसके बर्फ से ढंके हुए शिखर ने  कई कलाकारों और कवियों को प्रेरित किया है और कई सदियों से यह पर्यटन स्थल रहा है।  
यूनेस्को के लिए इटली के राजदूत मॉरिजिनो एनरिको लुइगी सेरा ने कहा कि एटना  भूगर्भीय आंकड़ों का कभी न खत्म होना वाला स्रोत है। एटना 3 हजार 300 मीटर ऊंचा है और यह सिसली के कैटेनिया सिटी के नजदीक है। सिसली की पुराने समुद्र तटरेखा पर करीब पांच लाख साल पहले यह ज्वालामुखी बना था। इसके मुख्य क्रेटर से कई बार लावा फूटता है। कई बार आस पास के गांव भी इसके कारण संकट में पड़ जाते हैं। कैटेनिया 1969 में ज्वालामुखी फटने से प्रभावित हुआ था। इसके बाद शहर को फिर से बारोक स्टाइल में बनाया गया। वर्ष 2013 के अप्रैल में भी यह एक बार सक्रिय हुआ था। 
वहीं जापान का माउंट फूजी को विश्व धरोहर घोषित करते हुए कमेटी ने कहा,  फुजीसान का शानदार फॉर्म और कभी-कभी इसकी सक्रियता से मिली प्रेरणा यहां के धार्मिक क्रियाकलापों में शामिल हुई है। जो शिंतो और बौद्ध धर्म, लोगों और प्रकृति को आपस में जोड़़ती है। माउंट फूजी ने 19वीं सदी की शुरुआत में कई कलाकारों को प्रभावित किया और उससे ऐसे चित्र बने जो संस्कृति की सीमाओं से परे थे। उनके कारण ये ज्वालामुखी पर्वत दुनिया भर में मशहूर हुआ और इसका पश्चिमी कला के विकास में काफी असर रहा।
 फुजीसान टोक्यो से 100 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। यह आखिरी बार 300 साल पहले फूटा था। इसके शिखर की तस्वीरें दुनिया भर में पर्यटन साहित्य का हिस्सा हैं। यूनेस्को ने पर्वत के शिखर और इसके ढलान पर बने मंदिर, लॉजिंग हाउस सहित झरने, कुंड और लावा ट्री मोल्ड भी धरोहर में शामिल हुए हैं। कमेटी के मुताबिक ये सब मिल कर फुजीसान की धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक हैं। माउंट फुजी जापान का 17वां स्थान है जो विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर क्या होते हैं?
हर देश की सरकार अपनी जनता पर तरह-तरह के कर लगाकर हर वर्ष बहुत सी धनराशि वसूल करती है। इन करों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है। प्रत्यक्ष कर और परोक्ष कर। 
प्रत्यक्ष कर व्यक्तिगत रूप से देने पड़ते हैं, इनकम टैक्स, वेल्थ, टैक्स, प्रापर्टी टैक्स, गिफ्ट टैक्स आदि इस प्रकार के करों के कुछ उदाहरण हैं। परोक्ष कर के अंतर्गत सेल्स टैक्स, कस्टम और एक्साइज, स्टाम्प ड्यूटीज, रोड टैक्स आदि आते हैं। करों द्वारा एकत्रित धनराशि द्वारा सरकार अपने देश की जनता के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करती है। जनता के हित के लिए सरकार बहुत से काम करती है। जैसे- रोगियों के लिए अस्पताल, शिक्षा के लिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय खोलना, पुलिस सेवाएं, शहरों और कस्बों में पार्क बनवाना, यातायात की सुविधाओं का विकास करना, रक्षा और संचार-व्यवस्था स्थापित करना आदि। इन सभी कार्यों के लिए धन की आवश्कता होती है। जनता से करों के रूप में एकत्रित धनराशि को ही इन सब कार्यों के विकास के लिए काम में लाया जाता है। बढ़ी हुई आबादी के अनुसार इन सभी सुविधाओं बढ़ावा भी आवश्यक हो गया है। जनता की इन सुविधाओं के विस्तार के लिए धनराशि की आवश्कता भी बढ़ गई है। यही कारण है कि सरकारों को टैक्सों की दरें बढ़ानी पड़ती है। 
कर विशेषज्ञ नए-नए टैक्स लगाने की सलाह सरकार को देते रहते हैं। बिना करों के कोई भी सरकार जनता को आवश्यक सेवाएं प्रदान नहीं कर सकती।
 

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