सामान्य ज्ञान
डेयरी क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए डेयरी उद्यमिता विकास य़ोजना (डीईडीएस) 1 सिंतबर 2010 को शुरू की गई। इस योजना का उद्देश्य स्वरोजगार के अवसर बढ़ाकर गरीबी कम करने के साथ देश में निवेश बढ़ाकर दूध का उत्पादन बढ़ाना था। नाबार्ड के माध्यम से लागू होने वाली इस योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता व्यावसायिक, सहकारी, शहरी और ग्रामीण बैंकों के माध्यम से सामान्य श्रेणी के आवेदकों को 25 प्रतिशत की पूंजीगत सब्सिडी और अनुसूचित जाति और जनजाति के लाभार्थियों को 33 प्रतिशत की सहायता केंद्रीय सहायता के तौर पर प्रदान की जाती है। इस योजना का लाभ किसान, व्यक्तिगत उद्यमी, संगठित और असंगठित क्षेत्र के समूह इस योजना के अंतर्गत लाभ लेने के योग्य हैं।
अपनी शुरूआत के बाद से ही नाबार्ड ने 31 दिंसबर 2012 तक 62 हजार 46 डेयरियों को स्थापित करने के लिए 251.20 करोड़ रूपए की राशि वितरित की है। इसके अलावा इस योजना को लागू करने के लिए वर्ष 2012-13 के दौरान सरकार ने 140 करोड़ रूपए जारी किए हैं, जिसमें से 31 दिसंबर 2012 तक नाबार्ड ने 32 हजार 749 डेयरी स्थापित करने के लिए 127.13 करोड़ रूपए जारी किए हैं।