सामान्य ज्ञान

क्या होती है प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग?
07-Jul-2021 12:16 PM
 क्या होती है प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग?

 रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया  के नियमों के हिसाब से बैंकों को लोन का कुछ हिस्सा डिवेलपमेंट के काम के लिए देना होता है जो प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग कहलाता है।
 बैंकों को फाइनैंशल सेक्टर की ग्रोथ को पक्का करने के अलावा देश के डिवेलपमेंट में योगदान करने का अहम काम सौंपा गया है। बैंकिंग रेग्युलेटर आरबीआई के नियमों के हिसाब से बैंकों को अपने कुल लोन का एक हिस्सा डिवेलपमेंट के काम के लिए देना पड़ता है। इसे ही प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग कहा जाता है।
 इसकी लिमिट बैंक के ओनरशिप पैटर्न के हिसाब से तय होती है। लोकल बैंकों-प्राइवेट और पब्लिक, दोनों को अपने नेट बैंक क्रेडिट यानी एनबीसी का 40 फीसदी प्रायॉरिटी सेक्टर को देना होता है। फॉरेन बैंकों के लिए यह लिमिट 32 फीसदी रखी गई है।
 रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट, 1934 के सेक्शन 42(2) के हिसाब से हर पखवाड़े में दाखिल रिटर्न के हिसाब से नेट बैंक क्रेडिट का टैली होना जरूरी है। प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग के टारगेट या सब-टारगेट को दिए जाने वाले लोन के कैलकुलेशन में एफसीएनआर (बी) और एनआरएनआर स्कीमों में स्टैंडिंग डिपॉजिट शामिल नहीं किया जाता है।
 घरेलू बैंकों को एनबीसी का 18 फीसदी लोन एग्रीकल्चर और 10 फीसदी लोन समाज के कमजोर तबके को देना होता है। लेकिन विदेशी बैंकों को एनबीसी का 10 फीसदी लोन स्मॉल स्केल इंडस्ट्री को देना होता है। ये एनबीसी का 12 फीसदी लोन एक्सपोर्ट क्रेडिट के रूप में दे सकते हैं। प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग की बाकी रकम से कई सेक्टर को लोन बांटा जा सकता है। रिजर्व बैंक ने प्रायॉरिटी सेक्टर का डिटेल नोट बनाया हुआ है जिसमें हाउसिंग लोन, एजुकेशन लोन, एमएफआई लोन वगैरह होता है।
 अभी तक देखा गया है कि बैंक प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग का टारगेट हासिल करने के लिए कभी-कभार सब-टारगेट मिस कर देते हैं। बैंक इस सेक्टर को लेंडिंग का टारगेट चूकने की जो वजह बताते हैं उनमें सबसे बड़ी वजह इनसे होने वाली रिकवरी में अक्सर दिक्कत आना है।
 लोकल बैंकों को प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग में कमी की भरपाई के लिए नाबार्ड के रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड (आरआईडीएफ) में योगदान करना होता है। अगर विदेशी बैंक प्रायॉरिटी सेक्टर का लेंडिंग टारगेट या सब-टारगेट चूकते हैं तो उनको उतनी रकम एक साल के लिए सिडबी के पास जमा करनी पड़ती है।


ऐज़म्पशन डे क्या है?
ईसाई धर्म के सभी सम्प्रदायों में ऐज़म्पशन डे या माता मरियम का उद्ग्रहण दिवस नहीं मनाया जाता। कैथलिक सम्प्रदाय में जितना महत्व ईसा मसीह की माता मरियम को दिया जाता है उतना अन्य ईसाई सम्प्रदायों में नहीं दिया जाता।
कैथलिक यह मानते हैं कि माता मरियम की मृत्यु नहीं हुई बल्कि वे शरीर और आत्मा समेत स्वर्ग पहुंचा दी गईं। वहां ईश्वर ने उन्हें एक विशेष स्थान दिया और मुकुट पहनाया गया। उद्ग्रहण दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है। कैथलिक सम्प्रदाय जो माला जपते हैं वह माता मरियम को ही समर्पित होती है।
 

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