सामान्य ज्ञान
सदियों से लोग यह जानने की कोशिश में लगे हुए हैं कि गुलाब की पंखुडिय़ों में भीनी भीनी खुशबू क्यों होती है। दरअसल यह एक एंजाइम का कमाल है। इस एन्जाइम के बारे में पता लगने से अब गुलाब की विभिन्न किस्मों की गायब हो रही खुशबू फिर से लौटाने में मदद मिल सकती है। इत्र और सौंदर्य प्रसाधनों के लिए आवश्यक तेल मुहैया करने वाले गुलाब को उसकी खूबसूरती और मोहक खुशबू के लिए उगाया जाता है लेकिन समय के साथ इसकी खुशबू गायब होती जा रही है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि गुलाब की पुरानी खुशबू को वापस लाने के लिए उसकी महक के बायो सिंथेसिस मार्ग की बेहतर समझ की आवश्यकता होगी। कुछ वैज्ञानिकों का यह दावा है कि टेरपीन सिंथेसिस एन्जाइम एकमात्र ऐसा माध्यम है जो पौधों में सुगंधित मोनोटरपीन्स पैदा करता है।
वहीं एक अन्य शोध में पाया गया कि फूलों की सुगंध का कारण कोई एक दम अलग अप्रत्याशित एन्जाइम का परिवार है। रिसर्चर्स ने गुलाब की तेज खुशबू वाली पापा मीलांद किस्म और कम खूशबू वाली रोग मिलांद किस्म के ट्रांस्क्रिप्टोम्स की तुलना की ताकि उनके आनुवांशिक अंतर का पता लगाया जा सके। उन्होंने पाया कि आरएचएनयूडीएक्स1 एन्जाइम खुशबू पैदा करता है।
इंटरल्युकिन 21 प्रोटीन
वैज्ञानिकों ने यह खोज की है कि इंटरल्युकिन 21 प्रोटीन, इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस 1 (एचआईवी -1) के संक्रमण को सीमित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह शोध नेचर कम्युनिकेशन्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यह अध्ययन न्यूयॉर्क स्थित कोर्नेल मेडिकल कॉलेज के पोस्ट डॉक्टोरल एसोसिएट स्टेनली एडोरो द्वारा किया गया है। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि सीडी4 टी कोशिकाओं द्वारा आईएल 21 प्रोटीन का निर्माण होता है तथा यह माइक्रो आरएनए-29 को अन्य सीडी 4 टी कोशिकाओं में सक्रिय करता है जिससे एचआईवी -1 वायरस का ह्रास होता है। वैज्ञानिक दो मॉडलों के साथ प्रयोग करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे। यह शोध दर्शाता है कि एचआईवी -1 वायरस के पता लगने पर उसका शुरूआती दौर में ही इलाज करने पर इसके ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे एक नई एचआईवी थेरेपी का पता लगाने के लिए भी सहायता प्राप्त हुई जिसमें आईएल -21 प्रोटीन की गिनती बढ़ाकर सीडी 4+ टी कोशिकाओं द्वारा एचआईवी-1 वायरस का पता लगाया जा सकता है।