सामान्य ज्ञान
टू द फोर्थ ऑफ़ जुलाई एक अंग्रेजी कविता है जो समाज सुधारक स्वामी विवेकानन्द द्वारा रचित है। विवेकानन्द ने यह कविता 4 जुलाई 1898 को अमेरिकी स्वतंत्रता की वर्षगांठ पर लिखी थी।
इस कविता में विवेकानन्द ने स्वतंत्रता की प्रशंसा और महिमा का गुणगान किया है और स्वतंत्रता के लिए अपनी प्रभावशाली लालसा को भावुक कथन के रूप में कविता के माध्यम से वर्णित किया।
सन् 1893 में विवेकानन्द विश्व धर्म महासभा में भारत और हिन्दू धर्म को निरूपित करने संयुक्त राज्य अमेरिका गये। संसद में अपरिहार्य सफलता प्राप्त करने के पश्चात 1893 से 1897 तक उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैण्ड में वेदान्त दर्शन पर व्याख्यानों की एक शृंखला (अनुक्रम) प्रस्तुत किया। वो 1897 में भारत वापस आए तथा 1897 और 1899 के बीच विभिन्न राज्यों की व्यापक यात्रा की।
सन् 1898 वो कश्मीर गये, जहां वो डल झील में हाउसबोट पर रुके। कुछ अमेरीकी और अग्रेज शिष्यों (अनुयायियों) के संग जब अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान 4 जुलाई 2013 को संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता की वर्षगांठ को मनाने के भाग के रूप में यह कविता लिखी और इसे उस दिन के नाश्ते के समय जोर से पढऩे का आग्रह किया।