सामान्य ज्ञान

कच्चे अमरूद में विटामिन सी ज्यादा होता है?
15-Jul-2021 9:29 AM
कच्चे अमरूद में विटामिन सी ज्यादा होता है?

अमरूद स्वाद में तो लाजवाब होता ही है, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह उपयोगी फल है। पौष्टिकता से भरपूर अमरूद को संस्कृत में अमृतफल कहते हैं। पके अमरूद के बजाय कच्चे अमरूद में विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है। खाना खाने के पहले अमरूद के नियमित सेवन से कब्ज़ की शिकायत नहीं होती है।
अमरूद के प्रयोग से सेरम कोलेस्ट्राल घटा कर उच्च रक्तचाप से बचाव किया जा सकता है। अमरूद के बीज को खूब चबा-चबा कर खाने से शरीर को लौह तत्व की पूर्ति होती है।  अमरूद विश्व में सर्वाधिक मात्रा में भारत में ही पैदा होता है।
अमरूद 4-5 दिन तक ताज़े रहते हैं लेकिन यदि फ्रिज में रखेंगे तो 10-12 दिन तक अच्छे रहते हैं। अमरूद कभी छीलकर खाना नहीं चाहिए क्योंकि इनमें विटामिन सी काफी मात्रा में होता है जो दांतों और मसूढे के रोगों तथा जोड़ों के दर्द में बहुत ही उपयोगी है। पके हुए 100 ग्राम अमरूद से हमें 152 मि. ग्रा. विटामिन सी, 7 ग्राम पाचन क्रिया में सहायक रेशे, 33 मि. ग्रा. कैल्शियम और 1 मि. ग्रा. लोहा प्राप्त होता है। साथ ही इसमें फॉस्फोरस और पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है जो शरीर को पुष्ट बनाती है। अमरूद के पेड़ की जड़ेें, तने, पत्ते सभी दवा बनाने में काम आते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार अमरूद कसैला, मधुर, खट्टा, तीक्ष्ण, बलवर्धक, उन्मादनाशक, त्रिदोषनाशक, दाह और बेहोशी को नष्ट करने वाला है। बच्चों के लिए भी यह पौष्टिक  और संतुलित आहार है। अमरूद से स्नायु-मंडल, पाचन संस्थान, हृदय तथा दिमाग को बल मिलता है। पेट दर्द में अमरूद का सफ़ेद गूदा हल्के नमक के साथ खाने से लाभ मिलता है। पुराने जुकाम के रोगी के लिए आग में भुना हुआ गरम-गरम अमरूद नमक और काली मिर्च के साथ स्वास्थ्य लाभ दे सकता है। चीनी चिकित्सक अल्बर्ट विंग नंग लियांग ने अमरूद के फल और पत्तियों के चूर्ण के प्रयोग से मधुमेह के रोग पर आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त की है। अमरूद के पत्ते को पानी में उबालकर उसमें नमक डालकर चेहरे पर लगाने से मुंहासों से छुटकारा मिलता है।
मलेशिया में पेरक, जोहोर, सेलंगोर और नेगरी सेंबिलन जैसी जगह अमरूद के पेड़ काफी मात्रा में लगाए जाते हैं। अमेरिका के अपेक्षाकृत गरम प्रदेश जैसे मेक्सिको ले कर पेरू तक, अमरूद के पेड़ उगाए जाते हैं। कहते हैं कि अमरूद का अस्तित्व 2000 साल पुराना है पर आयुर्वेद में अमृतफल के नाम से इसका उल्लेख इससे हज़ारों साल पहले हो चुका है।
वर्ष 1526 में कैरेबियन द्वीप पर इसकी खेती पहली बार व्यावसायिक रूप से की गई। बाद में यह फि़लीपीन और भारत में भी प्रचलित हुई। अब तो दुनिया भर में अमरूद को व्यावसायिक लाभ के लिए उगाया जाता है। अमरूद का पौधा किसी भी तरह की मिट्टी में या तापमान में बढ़ सकता है लेकिन सही मौसम और मिट्टी में बढऩे वाले पौधों में लगे अमरूद स्वादिष्ट होते हैं।
 

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