सामान्य ज्ञान
संन्यासी एक संस्कृत शब्द है। हिंदू धर्म में संन्यासी यानी एक धार्मिक साधु, जिसने जीवन के चौथे आश्रम तक पहुंचने के बाद संसार त्याग दिया हो।
संन्यासी नाम विशिष्टï तौर पर ऐसे साधु के लिए भी प्रयुक्त होता है, जो महायोगी माने जाते शिव के प्रति विशेष श्रद्घा रखता है। शैव साधु आठवीं शताब्दी में विख्यात हिंदू उपदेशक शंकर द्वारा दशनामी संप्रदाय के अंतर्गत संगठित किए गए थे। संन्यासियों में परमहंस की अवस्था उच्चतम अवस्था है, यह सम्मान अक्सर ऐसे तपस्वियों को दिया जाता है, जिसने 12 साल इस रूप में बिताए हों और संपूर्ण आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया हो। उन्हें सांसारिक नियमों और कर्तव्यों, जैसे जाति संबंधी नियम, से मुक्त माना जाता है। उन्हें मूर्ति पूजा या यज्ञ आदि नहीं करने होते, लेकिन वे चाहें तो कर भी सकते हैं।
आधुनिक समय में 19 वीं सदी के विख्यात परमहंस संत रामकृष्ण थे। संन्यासियों का या जिन्हें अपने जीवनकाल में ही मुक्त माना जाता है। दाह संस्कार नहीं किया, बल्कि ध्यान की मुद्रा में समाधिस्थ कर दिया जाता है।
गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट क्या है
भारत की आजादी के लिए अगस्त का महीना तो अहम है ही, लेकिन करीब 150 साल पहले 2 अगस्त 1858 को भारत की किस्मत बदल दी थी। इस दिन ब्रिटिश सरकार ने गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट पारित किया।
1857 में मंगल पाण्डेय और उनके साथियों ने मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया था। पूरे भारत में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों से परेशान जनता ने पहली बार एक होकर अंग्रेजों के खिलाफ कुछ करने की ठानी। लेकिन भारत के शहंशाह बहादुर शाह जफर बूढ़े हो चुके थे और गदर में हिस्सा ले रहे विद्रोहियों को संगठित कर अंग्रेजों से लडऩे में उनका नेतृत्व कमजोर पड़ गया। ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर विद्रोही सैनिकों पर हावी हो गए और विद्रोह को दबा दिया गया। ईस्ट इंडिया कंपनी के पास भारत की जिम्मेदारी थी और उसे ब्रिटिश संसद से ऐसा करने के लिए मान्यता मिली थी।
1858 में ब्रिटिश सरकार ने गवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट पारित किया। इसके तहत भारत ईस्ट इंडिया कंपनी की जागीर नहीं रहा, बल्कि पूरी तरह ब्रिटिश रानी का उपनिवेश बन गया। यह सब 1857 के विद्रोहियों को शांत करने के लिए किया गया। ब्रिटिश सरकार ने माना कि भारत पर शासन में बहुत गलतियां हुईं और कहा कि ब्रिटिश रानी के अधिकार में आने से भारत की परेशानियां दूर हो जाएंगी।
इस कानून के तहत भारत के लिए रानी का एक खास सचिव नियुक्त किया जाना था जिस पर भारत देखने की जिम्मेदारी थी। रानी ने भारत के लिए एक गवर्नर जनरल भी नियुक्त किया। गवर्नर जनरल को भारत के सैन्य, कानूनी और सामाजिक मामलों पर फैसले लेने का पूरा अधिकार दिया गया।