सामान्य ज्ञान
नरसी मेहता
21-Aug-2021 12:01 PM
नरसी मेहता (16वीं शती ई.) गुजराती भक्ति साहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में नरसिंह-मीरा-युग नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। पदप्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसी का लगभग वही स्थान है जो हिंदी में सूरदास का।
पुष्टिमार्ग में नरसी को वधेयो माना जाता है । वे गुजरात के सर्वाधिक लोकप्रिय वैष्णव कवि हैं। उनकी रचनाओं में प्रमुख हैं- सुरत संग्राम, गोविंदगमन, चातुरीछब्बीसी, चातुरी षोडशी, दाणलीला, सुदामाचरित, राससहस्त्रपदी, श्रृंगारमाला और बाललीला।