सामान्य ज्ञान
क़ुर्रतुलऐन हैदर (जन्म- 20 जनवरी, 1926 - मृत्यु- 21 अगस्त, 2007) ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित उर्दू की प्रसिद्ध लेखिका थीं।
क़ुर्रतुलऐन हैदर के परिवार में तीन पीढिय़ों से लिखने की परंपरा रही। क़ुर्रतुलऐन हैदर के पिता की गणना उर्दू के प्रतिष्ठित कथाकारों में होती थी। क़ुर्रतुलऐन हैदर की मां नजऱ सज्जाद हैदर ‘उर्दू’ की जेन ऑस्टिन’ कहलाती थीं। 1947 में क़ुर्रतुलऐन ने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए.किया। इसी वर्ष क़ुर्रतुलऐन हैदर की कहानियों का पहला संग्रह सितारों के आगे प्रकाशित हुआ। इसमे संकलित लगभग सभी कहानियां उर्दू में हैं। क़ुर्रतुलऐन हैदर 1950 से 1960 के मध्य लंदन में रही। भारत लौटने के बाद उन्होंने बम्बई में इम्प्रिंट के प्रबंध संपादक का पद संभाला। उसके बाद लगभग सात वर्ष वह इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया के संपादन विभाग के सबंद्ध में रहीं।
क़ुर्रतुलऐन हैदर का पहला उपन्यास मेरे भी सनमख़ाने 1949 में प्रकाशित हुआ। उनके अन्य प्रमुख उपन्यासों में शामिल हैं- मेरे भी सनमख़ाने (1949),सफ़ीना-ए-ग़मे-दिल (1952),आग का दरिया (1959), आखिरी शब के हमसफऱ (1979), गर्दिशे-रंगे-चमन (1987), चांदनी बेगम (1990),कारे-जहां-दराज़ है(1978-79), शीशे के घर (1952),पतझर की आवाज़ (1967),रोशनी की रफ़्तार (1982)।
क़ुर्रतुलऐन हैदर को साहित्य अकादमी पुरस्कार (1967) सोवियत लैंड़ नेहरु पुरस्कार (1969), ग़ालिब अवार्ड (1985), इक़बाल सम्मान (1987), और ज्ञानपीठ पुरस्कार (1991) से सम्मानित किया गया है।