सामान्य ज्ञान
इलायची सुगंधित होने के कारण मुंह की बदबू को दूर करती है। इलायची दो प्रकार की होती है। छोटी और बड़ी। छोटी इलायची मालाबार और गुजरात में अधिक पैदा होती है और बड़ी इलायची उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र और नेपाल में अधिक पैदा होती है। दोनों प्रकार की इलायची के गुण समान होते हैं। लेकिन छोटी इलायची अधिक सुंगधित होती है।
संस्कृत में इसे एला, स्थूल, बहुला कहते हैं, वहीं हिन्दी में बड़ी इलायची,लाल इलायची, बंगाली में बड़ एलायच, मराठी-थोलेकाल, गुजराती - मोटी एलची, जाड़ी एलची, फारसी में हैल्कल्क,अंग्रेजी-लार्ज कारडेमम, लैटिन, एमोमम सुवेलेटम।
बड़ी इलायची का पेड़ अदरक के पेड़ जैसा होता है। इसका स्वाद चरमरा , तीखा होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी प्रकृति शीतल होती है। यूनानी चिकित्सा में इसे गर्म और खुश्क माना गया है। बड़ी इलायची का अधिक मात्रा में सेवन करने से आंतों को नुकसान पहुंच सकता है। यह इलायची पाचन शक्ति और भूख बढ़ाती है। दस्त और जी मिचलाने को रोकती है। इसके दाने मसूढ़ों को स्वस्थ और मजबूत बनाते हैं।
भारत और पाकिस्तान में इसका पुलाव इत्यादि बनाने में काफ़ी इस्तेमाल किया जाता है। मुग़लई व्यंजनों में भी इसका प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल होता है। गरम मसाले में भी यह एक अहम सामग्री है। पारंपरिक मसालेदार चाय के मसाले में भी इसे इस्तेमाल किया जाता है। चीन में, ख़ासकर उसके मध्य-पश्चिमी सिचुआन प्रान्त में, दम देकर पकाई गईं जिन-जिन मीट पकवानों में इसकी फलियां इस्तेमाल में लाई जाती हैं। वियतनाम में इसकी फलियों को थाओ क़ा कहा जाता है, और वहां नूडल सूप बनाने की सामग्री में इनका इस्तेमाल होता है। बड़ी इलायची का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक नेपाल है और उसके बाद क्रमश: भारत और भूटान हैं।