सामान्य ज्ञान
धूमकेतु 67 पी जिसे रबर डक कहा जाता है, की खोज वर्ष 1969 में हुई थी। इसका व्यास 3 से 5 किलोमीटर का है। इस धूमकेतु को इसकी कक्षीय अवधि के कारण चुना गया। अगस्त 2015 में धूमकेतु 67पी सूर्य से अपने सबसे निकटतम बिन्दु अपने नेपच्यून से टकरा सकता है औऱ रोसेटा तब अपने सर्वश्रेष्ठ स्थिति में होगा।
योरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का रोसेटा अंतरिक्ष यान 1969 में खोजे गए 67पी नामक धूमकेतु पर पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। इस धूमकेतु पर पहुंचने के लिए इसने दस वर्ष, पांच महीने और चार दिन की यात्रा की।
इस अवधि में रोसेटा ने 6.4 बिलियन किलोमीटर (पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी के पांच गुना से भी ज्यादा) की दूरी तय की। धूमकेतु के मार्ग पर पहुंचने के लिए इसने मंगल और पृथ्वी दोनों ही ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग किया। रोसेटा धूमकेतु की सतह से मात्र एक सौ किलोमीटर की दूरी पर है। नवंबर 2014 में 100 फिले नामक लैंडर को नीचे कर धूमकेतु 67 पी पर उतरने की कोशिश करेगा और इसकी सतह की प्रकृति और इससे निकलने वाली विभिन्न गैसों की संरचना के अध्ययन की कोशिश करेगा।
रोसेटा मिशन की शुरुआत मार्च 2004 में हुई थी। इसे फ्रेंच गुयाना में कोरू से एरियन 5 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। यह अंतरिक्ष यान करीब 3 हजार किलो का एल्युमीनियम का बक्सा है और यह करीब 100 किलोग्राम वजन वाले फिले को ले जा रहा है। यह मिशन दिसंबर 2015 में समाप्त हो जाएगा।
रोसेटा मिशन रुचि योग्य कार्बनिक यौगिकों की उपस्थिति का पता लगाएगा। वैज्ञानिकों में धीरे-धीरे यह विश्वास बढ़ता जा रहा है कि पृथ्वी पर जीवन के आरंभ में इन धूमकेतुओं ने भूमिका निभाई थी। आरंभिक पृथ्वी से टकराने वाले इन धूमकेतुओं ने ऐसे कार्बनिक पदार्थ पृथ्वी को दिए जिससे यहां पर जीवन की शुरुआत हुई।