सामान्य ज्ञान
कुम्भनदास (1468-1583) अष्टछाप के प्रसिद्ध कवि थे। ये परमानंददास जी के समकालीन थे। कुम्भनदास का चरित चौरासी वैष्णवन की वार्ता के अनुसार संकलित किया जाता है। वे जाति से गौर क्षत्रिय थे। अष्टछाप की स्थापना के समय उनकी उम्र 77 वर्ष थी। कुम्भनदास ब्रज में गोवर्धन पर्वत से कुछ दूर जमुनावतौ नामक गांव में रहा करते थे। अपने गांव से वे पारसोली चन्द्रसरोवर होकर श्रीनाथ जी के मन्दिर में कीर्तन करने जाते थे। कुम्भनदास के सात पुत्र थे, जिनमें चतुर्भजदास को छोडक़र अन्य सभी कृषि कर्म में लगे रहते थे। उन्होंने 1492 ई. में महाप्रभु वल्लभाचार्य से दीक्षा ली थी।
वे पूरी तरह से विरक्त और धन, मान, मर्यादा की इच्छा से कोसों दूर थे। एक बार अकबर बादशाह के बुलाने पर इन्हें फतेहपुर सीकरी जाना पड़ा जहां इनका बड़ा सम्मान हुआ। पर इसका इन्हें बराबर खेद ही रहा जिसे उन्होंने अपनी दोहों में व्यक्त भी किया था।