सामान्य ज्ञान
1 सितंबर 1961 को योगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में गुट निरपेक्ष आनंदोलन के सदस्य देशों का प्रथम शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। इस शिखर सम्मेलन में 25 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया। इस शिखर सम्मेलन को, पूर्वी और पश्चिमी ब्लाकों के मुक़ाबले में तीसरी दुनिया के सदस्य देशों की सहायता के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। गुट निरपेक्ष आन्दोलन में सदस्यता की सबसे महत्वपूर्ण शर्त, तत्कालीन पूर्वी और पश्चिमी ब्लाक से तटस्थ रहना थी। सदस्य देशों के विचारों में भिन्नता के कारण यह आन्दोलन अब भी एक सुदृढ़ मोर्चा बनाने में सफल नहीं हो सका है।
गुट निरपेक्ष आंदोलन ऐसे राष्ट्रों की एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिन्होंने निश्चय किया है, कि विश्व के वे किसी भी पावर ब्लॉक के संग या विरोध में नहीं रहेंगे। यह आंदोलन भारत के प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासर एवं युगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रॉज़ टीटो का आरंभ किया हुआ है। इसकी स्थापना अप्रैल, 1955 में हुई थी और वर्ष 2007 तक तक इसके 118 सदस्य हो चुके थे।
हवाना घोषणा-1979 के अनुसार इस संगठन का उद्देश्य गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों की राष्ट्रीय स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता, क्षेत्रीय एकता एवं सुरक्षा को उनके साम्राज्यवाद, कोलोनियलिज़्म, जातिवाद, रंगभेद एवं विदेशी आक्रमण, सैन्य अधिकरण, हस्तक्षेप आदि मामलों के विरुद्ध उनके युद्ध के दौरान सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही किसी पावर ब्लॉक के पक्ष या विरोध में ना होकर निष्पक्ष रहना है। ये संगठन संयुक्त राष्ट्र के कुल सदस्यों की संख्या का लगभग 2/3 एवं विश्व की कुल जनसंख्या के 55 प्रतिशत भाग का प्रतिनिधित्व करता है। खासकर इसमें तृतीय विश्व यानी विकासशील देश सदस्य हैं।