सामान्य ज्ञान
एटीएम मशीनों के आने से आज बैंकों से जमा राशि निकालना आसान हो गया है। बस इसके लिए आपके नाम का एटीएम कार्ड होना जरूरी है। एटीएम का पूरा नाम है -ऑटोमैटिक टेलर मशीन। दुनिया में 2 सितंबर, 1969 पहली बार इस मशीन का इस्तेमाल बैंक से जमा राशि निकालने के लिए किया गया। इस मशीन ने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में क्रांति ला दी।
2 सितंबर 1969 को अमेरिका की वित्तीय राजधानी न्यूयॉर्क में ऑटोमैटिक टेलर मशीन (एटीएम) को आम जनता के सामने पेश किया गया। ये पहल केमिकल बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए शुरू की। नारा दिया कि पर्सनल बैंकिंग और ज्यादा पर्सनल हो चुकी है। वैसे एटीएम बनाने की कोशिश कई लोग कर रहे थे, लेकिन सफलता डॉन वेटजेल को मिली। हालांकि शुरुआत में उनकी मशीन से सिर्फ कैश ही निकलता था।
इस मशीन के आते ही यह साफ हो गया कि अब पैसे निकालने के लिए बैंकों में लगने वाली लंबी कतार खत्म होने लगेगी। वर्ष 1980 तक अमेरिका के ज्यादतर शहरों में एटीएम लग चुके थे। इनसे पैसे निकालने के अलावा जमा और ट्रांसफर भी किए जा सकते थे।
भारत में पहली एटीएम मशीन 1988 में मुंबई में लगी। वर्ष 1991 में भारत में बड़े वित्तीय सुधार हुए। इसी दौरान कई निजी बैंक भी बाजार में आए। आईटी और बैंकिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलने से भारत के बैंकों ने भी जगह जगह एटीएम लगाने शुरू किए। फिलहाल भारत में एक लाख से ज्यादा एटीएम हैं। एक अंतरराष्ट्रीय फर्म के शोध के मुताबिक 2016 तक भारत में दो लाख एटीएम होंगे।
दुनिया भर में इस वक्त 10 लाख से ज्यादा एटीएम हैं और हर पांच मिनट में एक नया एटीएम लग रहा है।