विचार / लेख

इलाज-पत्र की नई पहल
29-Sep-2021 11:50 AM
इलाज-पत्र की नई पहल

बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिसे 'आयुष्मान भारत डिजिटल मिशनÓ कहकर शुरु किया है, उसे मैं हिंदी में 'इलाज-पत्रÓ कहता हूँ। नौकरशाहों द्वारा यह अधकचरी अंग्रेजी में गढ़ा गया नाम यदि सादी भारतीय भाषा में होता तो वह आम आदमी की जुबान पर आसानी से चढ़ जाता लेकिन जो भी हो, यह 'इलाज पत्रÓ भारत की आम जनता के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होगा। भारत सरकार की इस पहल का स्वागत इस रफ्तार से होना चाहिए कि यह कोरोना के टीके से भी जल्दी सबके हाथों तक पहुंच जाए। यह 'इलाज पत्रÓ ऐसा होगा, जो मरीजों और डाक्टरों की दुनिया ही बदल देगा। दोनों को यह मगजपच्ची से बचाएगा और इलाज को सरल बना देगा। 

अभी तो होता यह है कि कोई भी मरीज़ अपनी तबियत बिगडऩे पर किसी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाता है तो दवाई देने के पहले डॉक्टर उसके स्वास्थ्य का पूरा इतिहास पूछता है। जरूरी नहीं है कि मरीज़ को याद रहे कि उसे कब क्या तकलीफ हुई थी और उस समय डॉक्टर ने उसे क्या दवा दी थी। अब जबकि यह इलाज-पत्र उसके जेबी फोन में पूरी तरह से भरा हुआ मिलेगा तो मरीज तुरंत वह डॉक्टर को दिखा देगा और उसको देखकर डॉक्टर उसे दवा दे देगा। जरुरी नहीं है कि मरीज और डॉक्टर आमने-सामने बैठकर बात करें और अपना समय खराब करें। यह सारी पूछ-परख का काम घर बैठे-बैठे मिनिटों में निपट जाएगा। अस्पताल और डॉक्टरों के यहां भीड़-भड़क्का भी बहुत कम हो जाएगा। चिकित्सा के धंधे में ठगी का जो बोलबाला है, वह भी घटेगा, क्योंकि उस 'इलाज-पत्रÓ में हर चीज़ अंकित रहेगी।
दवा-कंपनियों के साथ प्राय: डॉक्टरों की सांठ-गांठ के किस्से भी सुनने में आते हैं। इन कंपनियों से पैसे लेकर या कमीशन खाकर कुछ डॉक्टर और दवा-विक्रेता मरीजों को नकली या बेमतलब दवाएं खरीदने को मजबूर कर देते हैं। अब क्योकि हर दवा का इस 'इलाज-पत्रÓ में नाम और मूल्य दर्ज रहेगा, इसलिए फर्जी इलाज और लूट-पाट से मरीजों की रक्षा होगी। भारत में इलाज इतना मंहगा और मुश्किल है कि बीमारी से वह ज्यादा जानलेवा बन जाता है। एक मरीज़ तो जाता ही है, उसके कई घरवाले जीते जी मृतप्राय: हो जाते हैं। उनकी जमीन-जायदाद बिक जाती है और वे कर्ज के कुएं में डूब जाते हैं। ऐसा नहीं हैं कि भारत की स्वास्थ्य-व्यवस्था में यह 'इलाज-पत्रÓ क्रांति कर देगा लेकिन उसमें कुछ महत्वपूर्ण सुधार जरुर करेगा।

देश की स्वास्थ्य-सेवाओं में समग्र सुधार के लिए बहुत-से बुनियादी कदम उठाए जाने की जरुरत अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। यदि भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों में नए अनुसंधान को बढ़ाया जाए तो निश्चिय ही वे एलोपेथी से अधिक प्रभावशाली और सस्ती सिद्ध होंगी। वे जनता को भी शीघ्र स्वीकार्य होंगी। घरेलू इलाज से डॉक्टरों का बोझ भी कम होगा। इसका अर्थ यह नहीं कि हम ऐलोपेथी के फायदे उठाने में चूक जाएं। मेरा अभिप्राय सिर्फ यही है कि भारत के 140 करोड़ लोगों को समुचित चिकित्सा और शिक्षा लगभग उसी तरह उपलब्ध हो, जैसे हवा और रोशनी उपलब्ध होती है। यदि ऐसा हो सके तो भारत को कुछ ही समय में संपन्न, शक्तिशाली और खुशहाल होने से कोई रोक नहीं सकता।
(नया इंडिया की अनुमति से)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news