विचार / लेख
![केजरीवाल की सशर्त जमानत के बाद का परिदृश्य केजरीवाल की सशर्त जमानत के बाद का परिदृश्य](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1715500391ownload.jpg)
डॉ आर के पालीवाल
दिल्ली के कथित शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति के कई नेताओं सहित दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ राष्ट्रीय मीडिया और अंतरराष्ट्रीय जगत में कई प्रश्न खड़े हुए थे जिनमें दो सवाल सबसे बड़े थे। एक सवाल है , तेजी से उभरते राष्ट्रीय दल आप के प्रमुख अरविन्द केजरीवाल को लोकसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर गिरफ्तार करना जिससे वे अपने दल और अपने दल के गठबंधन इंडिया के लिए चुनाव प्रचार करने में सक्षम नही रहे और दूसरा यह कि एक तरफ सौ करोड़ के इस घोटाले में दर्जन से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई है और दूसरी तरफ कथित सत्तर हजार करोड़ के घोटाले में एक भी गिरफ्तारी नहीं होने से केंद्रीय जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर लगे प्रश्न चिन्ह। ऐसा नहीं कि केंद्रीय और राज्यों की विभिन्न जांच एजेंसियों और पुलिस प्रशासन पर पहले इस तरह के आरोप नहीं लगे। आपात काल से लेकर लगभग हर सरकार पर कमोबेश इस तरह के आरोप लगते रहे हैं कि वे जांच एजेंसियों को अपने पक्ष के लोगों को बचाने और विरोधी पक्ष के लोगों पर त्वरित कार्रवाई करने का दबाव बनाकर उनकी निष्पक्षता समाप्त करती हैं। दुर्भाग्य से वर्तमान दौर में इस तरह के आरोप सामान्य से बहुत ज्यादा बढ गए थे इसीलिए अरविन्द केजरीवाल के मामले में जर्मनी, अमेरीका और संयुक्त राष्ट्र संघ तक भी यह मुद्दा उछला था।
सर्वोच्च न्यायालय के लिए भी यह मामला अत्यंत पेचीदा था। यह ऐसा मामला था जिसमें पद पर रहते हुए मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की गई थी। एक प्रमुख राष्ट्रीय दल के मुखिया को पुराने मामले में लोकसभा चुनाव से पूर्व गिरफ्तारी के कारण गिरफ्तारी के समय को लेकर भी आरोप लग रहे थे कि चुनाव प्रचार में बाधा पहुंचाने के लिए यह गिरफ्तारी हुई है। सर्वोच्च न्यायालय को इन सब महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों पक्षों को सुनकर निर्णय देना था। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनवाई का पूरा मौका देने के बाद तर्कपूर्ण आदेश दिया है जिसमें न उन्होंने अरविंद केजरीवाल को पूरी तरह मुक्त किया है और न प्रवर्तन निदेशालय को आगे की कार्यवाही से रोका है।न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल को एक जून तक अंतरिम जमानत देकर केवल चुनाव के बाकी समय के लिए प्रचार करने के लिए मुक्त किया है। साथ ही उन पर कुछ कड़ी शर्त भी लगाई हैं, जैसे केजरीवाल शराब मामले पर कुछ नहीं बोल सकते और मुख्यमंत्री कार्यालय भी नहीं जा सकते लेकिन उनके चुनाव प्रचार करने पर न्यायालय की कोई रोक नहीं है।
लोकतंत्र के लिए सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला एक ऐतिहासिक नजीर बनेगा। इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए।आम आदमी पार्टी के लिए यह बडी राहत का फैसला है। इंडिया गठबंधन के लिए भी यह अच्छी खबर है।उम्मीद है कि हेमंत सोरेन के लिए भी इस फैसले से उम्मीद जगेगी। जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल की आगे की रणनीति क्या होगी यह केजरीवाल के चुनावी भाषणों से साफ होगी कि वे केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के प्रति कैसा रूख अख्तियार करते हैं। केजरीवाल को केंद्र सरकार दुश्मन नंबर एक समझती है क्योंकि वह दस साल से राजधानी दिल्ली में उनकी आंख की किरकिरी बना है। विपक्ष इस दौरान केजरीवाल को अग्रिम कतार का नेता मानने लगा है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत देकर लोकसभा चुनाव प्रचार का अवसर देकर कम से कम लोकतंत्र को समृद्ध किया है। अब केजरीवाल के बारे में जनता की क्या प्रतिक्रिया है यह केजरीवाल की चुनावी सभाओं में जनता की उपस्थिति और अंतत: दिल्ली और पंजाब में लोकसभा में आम आदमी पार्टी को मिलने वाली सीटों से पता चलेगा। केजरीवाल के आगामी कार्यकलापों पर हमारी और मीडिया की भी नजर रहेगी।