विचार / लेख

धन तेरस की आस
01-Nov-2021 10:25 PM
धन तेरस की आस

-प्रकाश दुबे

 

उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के साथ ही योगी आदित्यनाथ को नए गंठजोड़ का सामना करना होगा। प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री और योगी बाबा की तिकड़ी ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की नाक में दम कर दिया था। ममता बनर्जी ने इस उपकार का बदला चुकाने की तैयारी कर ली है। तृणमूल कांग्रेस पार्टी उप्र में चुनाव लड़ेगी। साथी होंगे-समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी। सपा ने बंगालवासी हिंदीभाषियों को तृणमूल का साथ देने के लिए कहा था। तृणमूल का लक्ष्य राष्ट्रीय दल बनने के साथ ही मोदी विरोधी चेहरे को चमकाना है। बरसों पहले सपा ने बांग्लाभाषी को पर्यटन निगम का अध्यक्ष बनाया था। खबर यह भी है कि कोलकाता के हिंदी अखबार के स्वामी और तृणमूल सांसद विवेक गुप्ता के संपर्कों का भी लाभ लिया जाएगा। गोवा में खिलाड़ी काम आए। उत्तर प्रदेश के अखाड़े में पत्रकार, साहित्यकार और कलाकार उतारने की तैयारी है।  

नरकासुर युद्ध
परेशानियों को अवसर में बदलने वाली सूक्ति सबने सुनी है। कोरोना महामारी को प्रचार का हथियार बनाया जा सकता है तो प्रदूषण को क्यों नहीं? देश की राजधानी दिल्ली में केजरीवाल सरकार है। सरकार को हटाने में तो केन्द्र सरकार नाकाम रही। सरकार से कई अधिकार जरूर छीन चुकी है। प्रचार के तरीके नहीं छीन सकी। हवाई अड्डे, रेल्वे स्टेशनों, बस अड्डों, चौराहों और बगीचों में दिल्ली सरकार ने नौजवानों को नियुक्त कर रखा है। उनकी टी शर्ट पर लिखा है-युद्ध। आसपास मोटे-मोटे अक्षरों में लिखी इबारत के फलक लगे रहते हैं। दोनों मिलकर होते हैं- प्रदूषण से युद्ध। आम के आम और गुठलियों के दाम। हरियाणा-पंजाब से आने वाली जलती पराली और जाड़ों में कुहासे से परेशान दिल्ली को जगाने और नाम कमाने का अवसर तो है ही। इस बहाने युवा-युवतियों को कुछ दिन के लिए रोजगार मिला। चौराहों और बगीचों के दिन बहुरे। विचार किसी की खोपड़ी से निकला हो, केजरीवाल सरकार की वाहवाही से केन्द्र सरकार का दिल तो दुखेगा ही।

लक्ष्मी पूजा
राजस्थान के किलों और हवेलियों को होटल में तब्दील करने से कई काम सधे। राजा-रानी रंक होने से बचे। हाथ पर हाथ धरे बैठने की बजाय उन्हें विदेशी सैलानियों को सदियों पुराने निर्माण दिखाने और तफरीह कराने का अवसर मिला। कारोबार से केन्द्र सरकार हाथ खींच रही है। दिल्ली के कनाट प्लेस के मुहाने पर बने अधिकांश होटल निजी हाथों में जा चुके हैं। सरकार संचालित प्रतिष्ठानों में ऊंचा स्थान रखने वाले होटल जनपथ में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कलाकेन्द्र का बसेरा है। हरियाली से घिरी कला केन्द्र की इमारतें, नाट्य गृह आदि के साथ विशाल भूभाग सेंट्रल विस्ता के जबड़ों में चला गया। जनपथ होटल का हाल वही था, जो जनता का है। कला केन्द्र का कार्यालय बनने से रौनक आई। अध्यक्ष राम बहादुर राय के कार्यालय का गलियारा मधुबनी पेंटिंग से सजा। पहले तल पर सचिव सच्चिदानंद जोशी का गलियारा पश्चिम और दक्षिण भारत की कलाकृतियों से संवरा। सेंट्रल विस्ता बनने के बाद कलाकेन्द्र का डेरा जनपथ से हटकर मुंबई की चाल की तरह के नए पते पर जाएगा। जनपथ पहुंचने में टूट-फूट नहीं हुई। आगे (राम बहादुर) जानें।  
      
अन्नकूट
चुनाव में इज्जत की नौका डूबने का खतरा हमेशा रहता है। बोली बिगड़ती है। ऐन दीपावली से पहले होली वाली गालियों से अधिक घटिया बातें सुनकर फजीहत करानी पड़ती है। हैदराबाद नगरनिगम के चुनाव से भाजपा का हौसला बढ़ा।  हम भी हैं, तुम हो, दोनों हैं आमने-सामने वाली अदा में ताल ठोंकी। तेलंगाना सरकार से निष्कासित मंत्री के दलबदल से जोश बुलंदी पर है। चंद्रशेखर राव पर परिवारवाद का आरोप लगाया। जवाबी हमले का मोर्चा बेटे और मंत्री तारक रामाराव ने संभाला। आम सभाओं में जनता से पूछते-हम इसी भाषा में कहने लगें कि भारत को गुजराती चला रहे हैं? मोदी-शाह की दुकड़ी तेल के दाम बढ़ाती जाए और राज्यों से उसकी भरपाई करने कहे? शालीन बनकर कहा-वे लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को गाली गलौज में बदल रहे हैं। चतुर मुख्यमंत्री और सयाने बाप ने बेटे को कलयुगी अभिमन्यु बनाया। 30 अक्टूबर को उपचुनाव के लिए मतदान हो चुका है। गोवर्धन पूजा की प्रतीक्षा है।
(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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