विचार / लेख

किसे मालूम था कि ये लड़का अगले कुछ सालों में शाहरुख़ हो जाएगा
02-Nov-2021 1:23 PM
किसे मालूम था कि ये लड़का अगले कुछ सालों में शाहरुख़ हो जाएगा

-श्याम मीरा सिंह

 

गौरी शाहरुख़ को छोड़कर मुंबई चली आईं थीं, तब शाहरुख़ आज के शाहरुख़ नहीं थे, एक कॉलेज में पढ़ने वाले एक नार्मल से लड़के थे जो एक लड़की से प्यार करने लगा था जिसे अपने कॉलेज की एक पार्टी में एक लड़के के साथ डांस करते हुए देखा था. तब का दिल ऐसा लगा कि फिर कहीं लगा ही नहीं. ये लड़का इतना पजेसिव था कि सामने खड़ा 'कबीर सिंह' भी संत आदमी लगे, इसको पसंद नहीं था कि गौरी खुले बाल रखें, ये नहीं चाहता था कि गौरी स्विमिंगसूट पहनें. प्यार बहुत था लेकिन इंसिक्योरिटी उससे भी ज्यादा थी, हो भी क्यों न, खुले बाल में गौरी कमाल जो दिखतीं थीं। वैसे भी स्त्री का खुलापन ही वह एकमात्र चीज है जिससे पुरुष को सबसे ज्यादा भय लगता है. शाहरुख़ नहीं चाहते थे कि कोई और लडका गौरी की तरफ देखे, शाहरुख़ कहते 'मेरे पास मत बैठो, चलेगा, पर किसी और लड़के के पास मत बैठा करो, मुझसे प्यार नहीं करती, चलेगा, लेकिन किसी और से प्यार करोगी तो मुश्किल होगी'.

क्या कोई कह सकता है रोमांस का बादशाह कभी इतना इनसिक्योर और इतना पजेसिव रहा होगा? शाहरुख़ की पजेसिवनेस ने गौरी को असहज कर दिया. इतना असहज कर दिया कि शाहरुख़ को बिना बताए गौरी मुंबई आ गईं और शाहरुख़ दिल्ली में ही रह गए. गौरी का दिल्ली से मुम्बई आ जाना इस कहानी का वो टर्निंग पॉइंट था जिसके लिए ये कहानी लिखी गई है. जिसकी भूमिका में पचासों शब्द बिता दिए गए.

शाहरुख ने खूब दम लगा दी ये जानने में कि गौरी मुंबई में कहाँ गईं हैं. तब फेसबुक नहीं था, न इन्स्टाग्राम था कि जो एक बार ब्लॉक हो गए तो दूसरी आईडी से पूछ लें कि कहाँ हो? क्या प्लीज हम दो मिनट बात कर सकते हैं. गौरी के बिना बताए जाने ने ऐसा अवकाश पैदा कर दिया कि शाहरुख़ तय नहीं कर पा रहे थे कि गौरी के चले जाने को मन में कहाँ रखें. ऐसी हालत हो गई कि मां को पूछना पड़ गया कि क्या बात है? इतना बुझे-बुझे क्यों रहते हो?
बेटे कि नाजुक हालत देख माँ ने हाथ में दस हजार रुपए थमा दिए, और कहा जा जिससे प्यार करता है ढूंढ ले. शाहरुख़ को सिर्फ इतना पता था कि उनकी प्रेमिका, उनकी गौरी मुंबई शहर में रहती है जिसके किनारों पर समुंदर आता है. लेकिन ये मालुम नहीं था कि इतने बड़े शहर में गौरी कहाँ होगी. हाँ एक बात और पता थी कि गौरी को समुद्र के 'बीच' पसंद हैं. पानी किनारे बैठना पसंद है. सोचा जरूर ही गौरी मुम्बई के बीच पर आती होगी. सोचा बीच ही तो हैं, ढूंढ लेंगे. पर मुंबई आकर पता चला यहां अनगिनत बीच हैं, हर बीच पर गौरी को ढूंढा, गौरी नहीं मिलीं. 2 दिन बीत गए. साथ में एक दोस्त था. जिस दोस्त के घर पर दो दिन ठहरे थे उसके माँ-बाप वापस लौट आए, सो दोस्त का घर छोड़ना पड़ा. रात एक स्टेशन के बाहर रखी बैंच पर सोकर काटी. अगले दिन फिर इस बीच से उस बीच गौरी को ढूंढा. पर गौरी कहाँ ही मिलनी थी? ऐसा थोड़े ही होता है, कोई फिल्म थोड़े ही है. प्रेम में दूसरी बार मिलना नहीं होता, प्रेम में दूसरी बार मिलना दूसरे जन्म लेने जितना होता है.

दो-एक दिन ऐसे ही कटे, धूप-छाँव क्या! माँ के लाए पैसे बीत गए, अपना सबसे पसंदीदा कैमरा बेच दिया. वह भी मामूली से पैसों में. दोस्त कहते यार चल, चलते हैं न, गौरी नहीं मिलनी. बीच पर खड़े शाहरुख ने खाली जेब में हाथ डालकर अपने दोस्त से कहा "One day I will rule this City" मतलब कि एक दिन इस शहर पर राज करूँगा (ऐसा शाहरुख की जीवनी लिखते हुए उनके दोस्त ने लिखा है)
 
जैसे जैसे दिन बीते, जेब खाली हो गईं, आखिरी दिन तय हुआ कि आज आखिरी बार और ढूंढ लेते हैं. एक बीच से दूसरे बीच घुमते रहे, पर गौरी नहीं मिली. तभी एक प्राइवेट बीच दिखा. ऑटो वाले से कहा रुको!, थोड़ा उधर चलते हैं. उम्मीद थी क्या पता जाते-जाते गौरी मिल ही जाए. ऊपर वाले को भी एक सुंदर सी प्रेम कहानी रचनी थी इतने मोड़ रख दिए कहानी में कि हर मोड़ पर दम निकले. आज ही दिल्ली लौटना था और आज ही गौरी दिख गईं. गौरी शाहरुख़ को देख रही थीं शाहरुख़ गौरी को. क्या गजब इत्तेफाक था..... गौरी की आंखों से टप टप आंसू टपकते रहे. शाहरुख़ को गौरी मिल चुकी थी, गौरी को उसका शाहरुख़. लेकिन किसको मालूम था कि ये लड़का अगले कुछ सालों में शाहरुख़ हो जाएगा.
जन्मदिन मुबारक शाहरुख़!

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