सामान्य ज्ञान
पानी के डर को हाइड्रोफोबिया कहते हैं। अगर इस डर का कोई सामान्य कारण न हो , तो इसे मानसिक रोग माना जाता है। इसमें रोगी पानी के आम प्रयोग से नहीं डरता, लेकिन नदी , झील, समुद्र के पास जाने या तैैरने से घबराता है।
हाइड्रोफोबिया , रेबीज का पुराना नाम भी है। इसमें रोगी पानी या कोई तरल पदार्थ सटक नहीं पाता है। उससे दूर भागता है। रेबीज एक ऐसा वायरस है , जो केन्द्रीय नाड़ी तंत्र को प्रभावित करता है। यह घातक होता है। जंगली जानवरों मे आमतौर पर यह वाइरस चमगादड़, लोमड़ी, रकून और स्कन्क में पाया जाता है। अगर रेबीज से संक्रमित जानवर किसी को काट ले, तो ये वाइरस उसके शरीर में भी पहुंच जाते हैं। शुरु में उस जगह पर खुजली होती है और दर्द महसूस होता है। फिर सिर दर्द, चिड़चिड़ापन, बुखार होगा और कुछ ही दिन में यह वाइरस तेजी से फैलेगा। गले में मांसपेशियों में जकडऩ, शरीर ऐंठने लगता है। अंत में इससे मृत्यु भी हो जाती है। इससे बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। इसीलिए पालतू कुत्ते, बिल्लयों को रेबीज के टीके लगवाए जाते हैं। ताकि इससे संक्रमण न फैले, क्योंकि रेबीज के वाइरस थूक के जरिए भी फैलते हैं।