सामान्य ज्ञान
एक्स रे की खोज जर्मन भौतिक शास्त्री विल्हेम कोनार्ड रॉन्टजन ने की थी। चिकित्सा इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी खोज मानी जाती है।
रॉन्टजन ने अपनी इस खोज से मानव को त्वचा और मांसपेशियों को काटे बिना शरीर के अंदर झांकने की ताकत दी थी। विल्हेम कोनार्ड रॉन्टजन एक दिन सामान्य ढंग से कांच की नली के दोनों छोरों को तारों से जोड़ कर विद्युत परिपथ पैदा कर रहे थे। इसी दौरान एक घटना घटी। रॉन्टजन के नली को काले कपड़े से लपेटने के बावजूद मेज पर हरे रंग की तरंगे झिलमिला रही थीं। जब देखा गया कि हरे रंग की ये तरंगें अपारदर्शी पदार्थों को भेद जाती है तो हैरानी का ठिकाना ना रहा। इस घटना का प्रायोगिक शोध करने के बाद रॉन्टजन ने इन्हें एक्स- रेज यानी अज्ञात किरणें का नाम दिया।
जर्मनी में इन्हें वैज्ञानिक के सम्मान में रॉन्टजन किरणें ही कहा जाता है। 1901 में रॉन्टजन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्होनें इस पुरस्कार के साथ मिली सारी धनराशि अपनी यूनिवर्सिटी को दान कर दी। रॉन्टजन की इच्छा का सम्मान करते हुए इन नई किरणों का नाम एक्स किरणें ही रखा गया जबकि लोग चाहते थे कि इन्हें रॉन्टजन के सम्मान में रॉन्टजन किरणें कहा जाए। रॉन्टजन ने इन किरणों की खोज का पेटेंट भी कराने से इनकार कर दिया ताकि उनकी खोज सारी मानवजाति के लिए समान-रूप से फायदेमंद हो सके। 10 फरवरी 1923 को विल्हेम रॉन्टजन की मृत्यु अंतडिय़ों में कार्सीनोमा हो जाने के कारण हो गई।