सामान्य ज्ञान
पाकिस्तान की राजधानी लाहौर से 270 किलोमीटर की दूरी पर चकवाल जिले में स्थित कटासराज मंदिर परिसर में स्वयंभू शिवलिंग है जिसके बारे में कहा जाता है कि वे आदिकाल से वहां स्थित है। कटास संस्कृत के कटाक्ष शब्द का अपभ्रंश है जिसका अर्थ होता है आंखें, नेत्र। कहा जाता है कि पार्वती जी के वियोग में शिवजी ने जब रूदन किया था तो उनके रूदन से धरती पर दो कुंड बन गये थे। इनमें से एक कुंड पुष्कर में ब्रह्म सरोवर के रूप में मौजूद है, जबकि दूसरा सरोवर कटासराज मंदिर परिसर में मौजूद है।
शिवजी की आंख से निकले आंसू से बने इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से मनुष्य के रोग और दोष दूर हो जाते हैं। यहां सरोवर का पानी दो रंग का है। एक हरा, और दूसरा नीला। जहां सरोवर का पानी हरा है वहां सरोवर की गहराई कम है, लेकिन जहां सरोवर बहुत गहरा है वहां पानी गहरा नीला है। कटासराज मंदिर हिन्दुओं के पवित्रम तीर्थों में से एक है, क्योंकि ऐसा बताया जाता है कि यहीं इसी स्थान पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। महाभारत काल में अपने निष्कासन के दौरान पांडवों ने 4 वर्ष कटासराज में ही बिताए थे। इसी कटासराज सरोवर के किनारे यक्ष ने युधिष्ठिर से यक्ष प्रश्न किये थे जो इतिहास में अमर सवाल बनकर दर्ज हो गये। शिव मंदिर के अलावा कटासराज में राम मंदिर और अन्य देवी-देवताओं के भी मंदिर हैं जिन्हें सात घरा मंदिर परिसर कहा जाता है। मंदिर परिसर में हरि सिंह नलवा की प्रसिद्घ हवेली भी स्थित है।