सामान्य ज्ञान
कंगनी या टांगुन (वानस्पतिक नाम -सेतिरिया इटालिका) मोटे अन्नों में दूसरी सबसे अधिक बोई जाने वाली फसल है, खासतौर पर पूर्वी एशिया में। चीन में तो इसे ईसा पूर्व 6 हजार वर्ष से उगाया जा रहा है , इसे चीनी बाजरा भी कहते हंै। यह एकवर्षीय घास है जिसका पौधा 4 - 7 फीट ऊंचा होता है, बीज बहुत महीन लगभग 2 मिलीमीटर के होते हंै, इनका रंग किस्म किस्म में भिन्न होता है, जिनपे पतला छिलका होता है जो आसानी से उतर जाता है ।
भारत में तमिलनाडु में इसे तिनी कहते हंै, इसे दलिए में मिला कर खाया जाता है। चीन में इसे छोटा चावल कहते है।
विभिन्न भाषाओं में नाम- हिन्दी में कंगनी, कांकुन, टांगुन, संस्कृत -,कंगनी, प्रियंगु, कंगुक, सुकुमार, अस्थिसंबन्धन, अंग्रेजी- इटालियन मिलेट, मराठी-कांग, काऊन, राल, गुजराती- कांग, बंगाली-काकनी, कानिधान, कांगनी दाना।
कंगनी चीन में प्रमुख मोटा अन्न है, गरीब उत्तरी क्षेत्रों में तो यही मुख्य भोजन है। अमेरिका तथा यूरोप में इसे चारे, भूसे या पक्षियों के भोजन रूप में उगाया जाता है। यह गर्म मौसम की फसल है, चारे भूसे के रूप में यह 75 दिन में और अन्न के रूप में 90 दिन में तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन चारे के रूप में करने पर 20 हजार किलो, भूसे के रूप में करने पे 4 हजार किलो और अन्न के रूप में करने पर 8 सौ किलो फसल हो जाती है।