सामान्य ज्ञान
बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार ने देश के 266 जिलों में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना लागू की है। इस परियोजना के अंतर्गत ऐसे बच्चों को विशेष स्कूलों में दाखिल किया जाता है, जहां उन्हें औपचारिक शिक्षा प्रणाली में डालने से पहले शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य सुविधाएं आदि प्रदान की जाती हैं। वर्ष 2010-11 में इस योजना पर 92.71 करोड़ रूपये खर्च हुए, जबकि संशोधित अनुमान 92.80 करोड़ रूपये का था। वर्ष 2011-12 में 373 करोड़ रूपये की बजट राशि में से 21 नवंबर, 2011 तक 70 करोड़ रूपये खर्च किए जा चुके हैं।
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना की निगरानी, देखरेख और मूल्यांकन के लिए एक केन्द्रीय निगरानी समिति बनाई गई है। इसके अध्यक्ष श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव हैं और राज्य सरकारों तथा संबद्ध मंत्रालयों /विभागों के प्रतिनिधि इसके सदस्य हैं। इस योजना के अंतर्गत 2010-11 में 94 हजार 657 बच्चों को और 2011-12 (जून, 2011 तक) में 51 हजार 641 बच्चों को मुख्यधारा में लाया गया है।
बाल श्रमिकों के पुनर्वास की यह एक प्रमुख योजना है। इस योजना के अंतर्गत जिला स्तर पर गठित परियोजना समितियों को बाल मजदूरों के पुनर्वास के लिए विशेष स्कूल / पुनर्वास केन्द्र खोलने के लिए पूरी आर्थिक सहायता दी जाती है। यह विशेष स्कूल / पुनर्वास केन्द्र ऐसे बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, पूरक पौष्टिक आहार, छात्रवृत्तियां आदि देते हैं।
सर्वेक्षण के दौरान जिन बाल मजदूरों की पहचान की जाती हैं उन्हें विशेष स्कूलों में डाला जाता है और निम्न सुविधाएं दी जाती हैं - अनौपचारिक/औपचारिक शिक्षा, हुनर/शिल्प प्रशिक्षण, पांच रूपये प्रति बच्चा प्रति दिन के हिसाब से पूरक पौष्टिक आहार, सौ रूपये मासिक प्रति बच्चा छात्रवृत्ति और स्वास्थ्य सुविधाएं, जिसके लिए 20 स्कूलों के समूह पर एक डॉक्टर नियुक्त किया जाता है।